Hul Diwas 2023: ऐतिहासिक संथाल आंदोलन की याद में 30 जून को सम्मान और जुनून के साथ हर जगह हूल दिवस मनाया जाता है. 30 जून, 1855 को सिधू मुर्मू और कानू मुर्मू के नेतृत्व में हजारों संथाल भगनाडीही मैदान में एकत्र हुए थे और उन्होंने कोलकाता की ओर सामूहिक मार्च शुरू किया था.
इसके बाद संथाल विद्रोह एक ऐतिहासिक विद्रोह था और इसी को सम्मान देने के लिए हर साल 30 जून को हूल क्रांति दिवस मनाया जाता है शुरू हुआ था.
एक ओर ब्रिटिश सरकार का भयानक अत्याचार, दूसरी ओर स्थानीय साहूकारों के शोषण के विरूद्ध विद्रोह की आग भड़क उठी थी. 'हूल' शब्द का अर्थ 'विद्रोह' है. सिधु-कानू विद्रोह ने छोटानागपुर पठार (plateau) के एक बड़े हिस्से पर ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी थी.
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ब्रिटिश सेना के सिपाहियों की गोलीबारी में सिद्धू की जान चली गई और 23 फरवरी 1856 को कानू को भोगनाडीह के पास पंचकठिया बरगद के पेड़ पर फांसी दे दी गई.
फांसी से इस महान विद्रोही नेता ने घोषणा की थी कि "मैं फिर आऊँगा, और फिर से पूरे देश में विद्रोह की आग भड़का दूंगा."