Chhath Puja 2023: छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना होता है. खरना का मतलब होता है- शुद्धिकरण. इसे लोहंडा या संझत भी कहा जाता है
इस दिन छठ व्रती पूरे दिन उपवास रहते हैं और शाम में गुड़ और चावल की खीर और आटे की रोटी का प्रसाद बनाते हैं. इस प्रसाद को मिट्टी के नये चूल्हे पर आम की लकड़ी से बनाया जाता है. इस प्रसाद को छठ व्रती ग्रहण करते हैं. प्रसाद ग्रहण के दौरान इस बात का छठ व्रती को खास ध्यान रखना होता है कि वो किसी की आवाज ना सुनें.
इस प्रसाद का विशेष महत्व है, इसका ग्रहण करना हर किसी के लिए ज़रूरी होता है. खरना के बाद रविवार को डूबते सूर्य को और सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन होगा.
नहाय खाय 17 नंवबर को है जबकि खरना 18 नवंबर को किया जा रहा है. 19 नवंबर को ढलते सूर्य को अर्घ्य जबकि उसके अगले दिन यानि कि 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व का समापन होगा