हिंदू धर्म में साल में दो बार छठ का महापर्व मनाया जाता है. चैत्र के महीने में चैती छठ मनाया जाता है, जिसका खास महत्व होता है. इस साल 12 अप्रैल से चैती छठ शुरू हो चुके हैं. यह चार दिन तक चलने वाला त्योहार है. इसमें पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन सूर्योदय अर्घ्य किया जाता है. चलिए जानते हैं इस त्योहार की खासियत.
नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है जो इस साल 14 अप्रैल को है. इस दिन छठ व्रती घर की साफ-सफाई के बाद चावल, लौकी की सब्ज़ी और चने की दाल को प्रसाद के तौर पर खाते हैं.
छठ पूजा का दूसरा दिन यानि कि खरना सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. इसे लोहंडा और संझत भी कहते हैं. खरना वाले दिन पूरे दिन व्रत रखा जाता है और रात में पूरी पवित्रता के साथ बनी गुड़ की खीर का प्रसाद खाया जाता है और इसके बाद से ही 36 घंटों का कठिन व्रत शुरु हो जाता है.
महापर्व के तीसरे दिन छठ व्रती नदी, तालाबों और घाटों पर जाकर छठी मइया और सूर्य की उपासना करते हैं और अस्ताचल गामी यानि कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं.
छठ पूजा के अगले दिन उदीयमान सूर्य यानि कि उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन हो जाता है.
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