पानी पर हुई कई रिसर्च के अनुसार बिना खाने के एक आदमी 1 हफ्ते तक ज़िंदा रह सकता है, लेकिन पानी की 1 बूंद के बिना 5 दिन से ज़्यादा नहीं जी पाएगा. शरीर में पानी की 1% कमी होने पर हमें प्यास लगती है. 5% तक की कमी आते ही हमारा स्टैमिना कम होने लगता है. अगर शरीर में 10% पानी की कमी आ जाती है तो हमें सब धुंधला दिखने लगता है. अगर यही कमी 20% तक पहुंच जाए तो हम मर भी सकते हैं.
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इससे आप आइडिया लगा सकते हैं कि पानी हमारे लिए कितना ज़रूरी है. इसीलिए पानी की खपत इतनी अधिक है. धीरे-धीरे बढ़ती जनसंख्या और पीने की पानी की बढ़ती डिमांड से पानी के भविष्य पर कई सवाल खड़े होते हैं. हर साल गर्मियों में पानी की कमी, लोगों का पानी के लिए भटकना एक आम समस्या है. लोगों का ध्यान इसी कमी की ओर लाने के लिए हर साल वर्ल्ड वॉटर डे मनाया जाता है.
यूनाइटेड नेशन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार चार बिलियन लोग यानि वर्ल्ड की दो तिहाई पॉपुलेशन साल में कम से कम एक महीना पानी की कमी को फेस़ करती है. दो बिलियन लोग ऐसे देशों में रहते हैं जहां पानी की सप्लाई तक नहीं है. वर्ल्ड की आधे से ज़्यादा आबादी 2025 तक पानी का भयंकर अकाल देखेगी. 2040 तक चार में से एक बच्चा दुनिया की सबसे गंभीर पानी की कमी से ग्रसित एरिया में रह रहा होगा.
दुनिया में पानी की इस बढ़ती कमी को देखते हुए इस साल वर्ल्ड वॉटर डे की थीम अंडरग्राउंड वॉटर को सेव करने पर रखी गई है (Groundwater: making the invisible visible). ताकि लोग पानी की बचत और अंडर ग्राउंड पानी के इस्तेमाल को लेकर जागरूक हों.