G20 Summit: भारत ने G20 समिट के लिए दुनिया भर से कई नेताओं का स्वागत किया. लेकिन, जिस चीज़ ने इस स्वागत को ख़ास बनाया वो था बैकग्राउंड में दिख रहा कोणार्क व्हील, कोणार्क सूर्य मंदिर के चक्र को भारत की एक बड़ी सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है. ओडिशा में स्थित के कोणार्क सूर्य मंदिर के एक विशाल पत्थर का पहिया है, जिसे 'कोणार्क चक्र' के नाम से जाना जाता है.
भारत मंडपम में लगा कोणार्क चक्र न सिर्फ भारत के सालों प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प की उत्कृष्टता का प्रतीक है, अपितु ये लोकतंत्र के पहिए के प्रतिक रूप में भी कार्य करता है, जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
कोणार्क व्हील 13वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासन काल में अस्तित्व में आया. इसमें 24 तीलियां है जो कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज में भी दिखाई देती है.ये पहिया हमें समय भी बताता है. सन् 1948 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है.
इसकी 24 तीलियां भगवान विष्णु के 24 अवतारों को दर्शाती हैं तो वहीं कुछ मान्यताएं कहती हैं कि ये तीलियां 24 अक्षरों वाले गायत्री मंत्र को प्रदर्शित करती हैं. इतना ही नहीं ये पहिया पृथ्वी के घूमने, सूरज, चांद और सितारों की एक्टिविटीज़ का ध्यान रखता है, यह पूरे दिन और पूरे साल सूरज की गति को ट्रैक कर सकता है.