Mirror image or Selfie: क्या आपको भी आप शीशे में अलग और सेल्फी में अलग लगते हैं? लेकिन जब वही सेल्फी आपकी फैमली और फ्रेंड्स (Family and Friends) देखते हैं तो उनको कुछ भी अलग नहीं लगता. क्या आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है, तो इसका जवाब है मिरर...
ये बात सच है कि शीशे में दिखने वाली इमेज और सेल्फी की फोटो में फर्क होता है. शीशे में दिखने वाली इमेज रिवर्स होती है, उससे जो आपके सामने वाले इंसान को फेस टू फेस दिखती है. आपके दोस्त हमेशा आपको नॉन-रिवर्स इमेज में देखते हैं जबकि आप खुद को रिवर्स इमेज में देखते हो.
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साइकोलॉजी ऑफ मिरर एंड रिफ्लेक्शन पर हुई रिसर्च कहती है कि जिस फेस से हम ज़्यादा फेमेलियर नहीं होते वो फेस हमें ख़ास पसंद नहीं आता और जिस चेहरे को हम हमेशा देखते हैं वही हमें पसंद आने लगता है. इसलिए कई लोग खुद को मिरर में ज़्यादा अट्रैक्टिव पाते हैं और सेल्फी में कम.
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फेस का सिमिट्रिकल न होना भी फोटो में अलग दिखने की वजह बनता है. ज़्यादातर लोगों का फेस सिमिट्रिकल नहीं होता यानि दोनों तरफ से एक-सा नहीं होता इसलिए फोटो में चेहरा अलग नज़र आता है. साथ ही तस्वीरों का स्थिर होना भी वजह है, मिरर में हम खुद को मोशन में देखते हैं जबकी सेल्फी स्टिल होती हैं और नॉन रिवर्स होती हैं इसलिए हमें फोटो मिरर की इमेज से अलग लगती है.
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