चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन, मां ब्रम्हाचारिणी की अराधना का दिन है. मां ब्रम्हाचारिणी को मां दुर्गा का सबसे ख़ास अवतार माना गया है. मां ब्रम्हाचारिणी का नाम तपस्या के आचरण से रखा गया है. मां अपने तपोबल के कारण जानी जाती हैं.
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एक कथा के अनुसार मां ब्रम्हाचारिणी पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. देवी ने महादेव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कई हज़ार वर्षों तक तप किया था. सूखे बेल के पत्ते खाकर और उपवास रखकर वो अराधना किया करती थीं. देवता, मुनि और ऋषियों ने उनकी तपस्या की सराहना की और मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद दिया.
मां के दाएं हाथ में तप माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है. मां की अराधना करने से जीवन में त्याग, सदाचार और संयम मिलता है. मां की अराधना से आत्म विश्वास बढ़ता है और जीवन की किसी भी परेशानी का सामना करने का हौंसला मिलता है.
ब्रह्मचारिणी मां को पीला रंग भाता है. इसीलिए नवरात्रि के दूसरे दिन पीला रंग धारण करें. इस दिन देवी मां को पीले रंग के पकवानों का ही भोग लगाएं. इससे देवी अपने भक्तजनों की हर मनोकामना पूरी करती हैं.
इस दिन श्रद्धालु ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रूं ब्रह्मचारिण्यै नम: मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं.