स्वर कोकिला लता मंगेशकर आज हमारे बीच नहीं रहीं लेकिन उनसे जुड़े हजारों किस्से हैं. जिन्हें आज लोग पढ़ना चाह रहे हैं. ऐसा ही एक किस्सा उस वक्त का है, जब वे 33 साल की थीं, तब किसी ने उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश की थी. एक बार खुद लता जी ने इस कहानी के पीछे से पर्दा हटाया था.
जनवरी 1963 में लता मंगेशकर ने अपना अमर गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गाया था लेकिन ये बहुत कम लोगों को पता है कि उसके एक साल पहले यानी 1962 में उनको जहर देकर मारने का षडयंत्र रचा गया था. जिसके बाद लता जी अचनाक बेहद गंभीर रूप से बीमार पड़ गईं और बहुत लंबे समय तक बीमार रहीं. यह वह दौर था जब 1960 के आरंभिक वर्षों तक लता जी बेहद लोकप्रिय हो चुकी थीं.
ये भी पढ़ें: Lata Mangeshkar Death: भारत रत्न लता मंगेशकर के अनसुने किस्से
उनके गानों की वजह से फिल्में हिट होने लगी थीं. परंतु अचानक से उनकी तबीयत बेहद खराब हो गई और लता जी का हौसला टूटने लगा था, उनको लगने लगा था कि शायद वह अब कभी फिल्मों के लिए नहीं गा पाएंगी. दरअसल, हुआ यह कि लता जी एक दिन सुबह जब सोकर उठीं तो पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा था. वह बिस्तर से उठकर कहीं जाने की हालत में नहीं थीं और बेहद कमजोर हो चुकी थीं. अचानक उनको उल्टियां होने लगीं. जिसके उनके फैमिली डॉक्टर को बुलाया गया. डॉक्टर ने चेकअप के बाद उनका एक्स रे किया और उल्टियों की जांच की. इन दोनों रिपोर्ट की जांच से पता चला कि लता जी को धीमा जहर दिया जा रहा था.
नसरीन मुन्नी कबीर को दिए एक इंटरव्यू में लता जी ने जहर देने के इस पूरे मामले पर बात की. लता जी ने बताया कि जब उनकी बहन ऊषा को ये पता चला कि उनको जहर दिया जा रहा है तो वह सीधे उनकी रसोई में पहुंची. उनका एक नौकर था जो खाना बनाया करता था. ऊषा ने उस दिन उस नौकर से कहा कि अब उसको खाना बनाने की जरूरत नहीं है, ऊषा खुद अपनी दीदी के लिए खाना बनाया करेंगी.
इतना सुनते ही वह नौकर बगैर किसी को बताए लता जी का घर छोड़कर चला गया. उसने अपना हिसाब भी नहीं किया और अपने बकाए पैसे भी नहीं लिए. तब परिवार के लोगों को ये लगा था कि किसी ने लता जी के घर में उस नौकर को जहर देने के लिए ही रखवाया था. जब नौकर को लगा कि उसका भेद खुलने वाला है तो वह घर छोड़कर चला गया. परिवारवालों को ये भी याद नहीं था कि उस नौकर को कैसे उन्होंने घर पर खाना बनाने के लिए रखा था.