Twin Towers Demolition: 9 सैकेंड में ढाह दिया गया ट्विन टावर ( twin tower). अवैध रूप से निर्मित इस ढांचे को ध्वस्त करने के सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के 31 अगस्त, 2021 के आदेश के साल भर बाद यह कार्रवाई की गई. कोर्ट ने नोएडा (noida) के सेक्टर 93-ए में 2009 से निर्माणाधीन (under construction) 32 मंजिला एपेक्स (apex) और 29 मंजिला सियान (siyan) टावर को सुरक्षित और जल्दी गिराने का आदेश दिया था. एमराल्ड कोर्ट सोसायटी (emerald court housing society) परिसर के बीच इस निर्माण को नियमों का उल्लंघन बताया था. 100 मीटर से ज्यादा ऊंचा ट्विन टावर को जब ढाहा गया तो धूल का गुबारा उठा, हालांकि कुछ मिनट बाद ही आसपास की इमारतें सुरक्षित नजर आईं. पुलिस ने निवासियों को धूल से बचने के लिए घर के अंदर मास्क पहनने की सलाह दी है. इमारत गिराने के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया. इमारतों के खंभों में करीब 7,000 छेदों में विस्फोटक डाले गए और सबसे सटीक तकनीक (implosion waterfall technique) का इस्तेमाल किया गया.
'वॉटरफॉल इम्प्लोशन' तकनीक का इस्तेमाल
टावर का ढांचा अंदर की ओर अपने ऊपर गिरा
एक वॉटरफॉल का इफेक्ट दर्शाता है ये तकनीक
इम्प्लोशन गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत पर आधारित
लागत, समय, सुरक्षा के मद्देनजर अपनाई गई तकनीक
कोच्चि स्थित मराडू कॉप्लेक्स को गिराने का अनुभव था
Noida Twin Tower Blast: जानिए कब अपने घरों में वापस जा पाएंगे लोग, एहतियातन खाली कराई गई थीं सोसोयटी
‘डायमंड कटर’ तकनीक में 2 साल का समय लगता
‘इम्प्लोशन’तकनीक के मुकाबले 5 गुना ज्यादा लागत
'रोबोटिक्स तकनीक' अपनाने पर काफी शोर होता
प्रत्येक खंभों, दीवारों और बीम को काटना पड़ता
क्रेन की मदद से दीवारों को अलग करना पड़ता
लागत के साथ-साथ डेढ़ से 2 साल का वक्त लगता
बाकि दोनों तकनीक से आसपास के लोग परेशान होते
‘इम्प्लोशन’के मुकाबले अधिक महंगा पड़ता 'रोबोटिक्स'
मुंबई की कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग को दो टावरों को गिराने का जिम्मा सौंपा गया था. कंपनी के मुताबिक इसमें कोई भी व्यक्ति चोटिल नहीं हुआ. कोई स्ट्रक्चरल डैमेज भी नहीं हुआ. नजदीक के दोनों टावरों को कोई हानि नहीं हुई. हालांकि मलबा हटाने में 90 दिन लगेंगे. इसमें आसपास की सोसाइटी की आरडब्लूए की मदद ली जाएगी.