Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय तटरक्षक बल में महिला अधिकारियों के स्थायी कमीशन पर विचार से इनकार करने पर केंद्र की आलोचना की. कोर्ट ने पितृसत्तात्मक रूख पर सवाल उठाते हुए पूछा कि सेना-नौसेना अगर महिलाओं को स्थायी कमीशन दे रही हैं तो फिर तटरक्षक बल क्यों नहीं दे सकता? साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से जल्द ही जेंडर न्यूट्रल पॉलिसी लाने पर विचार करने को कहा.
बता दें कि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ इंडियन कोस्ट गार्ड यानी कि भारतीय तटरक्षक बल में स्थायी कमीशन की मांग करने वाली महिला अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने कहा कि अगर महिलाएं सीमा पर रक्षा करती हैं तो वे तटों की भी रक्षा कर सकती हैं. कोर्ट ने महिलाओं को कमतर समझने औऱ पुरुषवादी सोच को लेकर भी टिप्पणी की.
पीठ ने कहा कि 'वो दिन जब कहते थे कि महिलाएं कोस्ट गार्ड नहीं हो सकतीं. महिलाएं सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं तो महिलाएं तटों की भी रक्षा कर सकती हैं. आप नारी शक्ति की बात करते हैं, अब इसे यहां दिखाओ.'
कोर्ट ने कहा कि समुद्री बल को ऐसी नीति बनानी चाहिए, जो महिलाओं के साथ 'निष्पक्ष' व्यवहार करे. पीठ ने पूछा कि 'क्या तीन सशस्त्र बलों - सेना, वायु सेना और नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर शीर्ष अदालत के फैसले के बावजूद संघ अभी भी 'पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण' अपना रहा है?'
जब कोर्ट ने एएसजी से पूछा कि क्या कोस्ट गार्ड में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाता है तो उन्होंने कहा कि 10 प्रतिशत को दिया जाता है. 10 प्रतिशत पर असंतोष जताते हुए टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि '10 प्रतिशत क्यों? क्या महिलाएं कमतर इंसान हैं?'
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