उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चों पर माता-पिता की उम्मीदों का ''दबाव'' ही देश भर में आत्महत्या की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण है. अदालत ने जिन मामलों का जिक्र किया वो ज्यादातर कोटा से जुड़े थे. वैसे कोटा में सुसाइड एक गंभीर चुनौती बन चुकी है और तमाम आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं.
उच्चतम न्यायालय पीठ ने याचिकाकर्ता-मुंबई के डॉक्टर अनिरुद्ध नारायण मालपानी की ओर से पेश वकील मोहिनी प्रिया से कहा, ''ये आसान चीजें नहीं हैं, इन सभी घटनाओं के पीछे पैरेंट्स का दबाव है. बच्चों से ज्यादा पैरेंट्स ही उन पर दबाव डाल रहे हैं और ऐसे में अदालत कैसे निर्देश पारित कर सकती है.''