सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मैरिटल रेप (Marital Rape) को अपराध घोषित करने की मांग करने पर केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है. मैरिटल रेप पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) की पीठ के अलग-अलग फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को देश की सबसे बड़ी अदालत में सुनवाई हुई. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 5 महीने बाद फरवरी में होगी. बता दें कि 11 मई को दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जजों ने मैरिटल रेप को अपराध (Crime) की कैटेगरी में लाने को लेकर अलग-अलग राय दी थी. अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि इसे अपराध की श्रेणी में रखा जाए या नहीं.
भारतीय कानून के मुताबिक मैरिटल रेप कानूनी अपराध नहीं
भारतीय कानून (Indian Law) के मुताबिक मैरिटल रेप कानूनी अपराध नहीं है, हालांकि कई संगठन इसे अपराध घोषित करने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं. दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने इसे आईपीसी की धारा 375 (IPL Section 375) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म के तौर पर लिए जाने की मांग की थी. इसकी सुनवाई कर रहे दो जजों की इस मामले पर सहमति नहीं थी. इसके बाद कोर्ट ने इसे तीन जजों की पीठ को भेजने का फैसला लिया था. खंडपीठ में एक जज राजीव शकधर((Judge Rajiv Shakdher) ने वैवाहिक बलात्कार अपवाद को रद्द करने का समर्थन किया था. वहीं, जस्टिस सी हरि शंकर (Hari Shankar) ने कहा था कि आईपीसी के तहत अपवाद असंवैधानिक है.
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29% से ज्यादा महिलाएं यौन हिंसा का सामना करती है
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे ((National Family Health Survey) के अनुसार, "देश में 29 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं हैं जो पति द्वारा यौन हिंसा का सामना करती हैं. ग्रामीण और शहरी इलाकों में ये अंतर और भी ज्यादा है. गांवों में 32 तो वहीं शहरी हिस्सों में 24 प्रतिशत महिलाएं इसका शिकार होती हैं."
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