SC On Consensual Sex At 16-18: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 16-18 साल के युवाओं के बीच सहमति से सेक्स से जुड़े कानून पर जवाब मांगा है.
वकील हर्ष विभोर सिंघल ने एक जनहित याचिका दायर कर 16-18 की लड़की से सहमति के साथ सेक्स को रेप के दायरे से बाहर करने की अपील की थी.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस याचिका का संज्ञान लिया. तीन जजों की इस बेंच ने इस बारे में राष्ट्रीय महिला आयोग, कानून एवं न्याय मंत्रालय, गृह मंत्रालय और अन्य सम्बन्धित संस्थाओं को इस बारे में नोटिस भेजा है. इस मामले में अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को है.
याचिकाकर्ता ने क्या दलीलें दी?
याचिकाकर्ता ने अपनी अपील में जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि अगर 16 साल या उससे ज्यादा उम्र का कोई किशोर अपराध करता है तो उसकी शारीरिक और मानसिक क्षमता का आकलन करने के बाद ही यह फ़ैसला लिया जाता है कि उस पर एक वयस्क की तरह मामला चलना चाहिए या किशोर की तरह.
पीआएआईएल में कहा गया कि ठीक इसी तरह अगर 16 या 16 साल से ज्यादा उम्र की लड़की अपनी सहमति से किसी लड़के के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाती है तो यह जांच होनी चाहिए कि लड़की शारीरिक और मानसिक रूप से वयस्क है या नहीं. अगर वह शारीरिक और मानसिक रूप से वयस्क है तो ऐसी स्थिति में लड़के पर रेप का केस नहीं चलाया जा सकता.
याचिकाकर्ता की अपील है कि 16-18 साल की लड़की से सम्बन्ध को रेप तभी माना जाए जब उसके साथ जबरन, डराकर, बेहोशी की हालत में या बहला-फुसलाकर सम्बन्ध बनाया जाए.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक ऐसे मामलों में 19-21 साल के करीब 36 हजार युवक जेल में बंद हैं.