राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) की हिस्ट्री विंग 'अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना' भारत के इतिहास (History) को दोबारा लिखने जा रही है. वो इसे भारतीय दृष्टिकोण और उसी कालखंड के हिसाब से संकलित कर रही है. इसके बाद संघ पर इतिहास को बदलने के आरोप लग रहे हैं. इस पर संघ प्रचारक और 'अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना' के संगठन सचिव बालमुकुंद पाण्डेय (Balmukund Pandey) ने अपनी प्रतिक्रया दी.
एनबीटी से बात करते हुए संघ प्रचारक ने कहा कि इतिहास बदला नहीं जा सकता, इतिहास सुधारा जा सकता है. इतिहास में सतत रिसर्च की प्रक्रिया है, जो नई फाइंडिंग मिलती हैं वह उसमें जुड़नी चाहिए. जैसे अंग्रेजों ने कहा कि ईसा से चार हजार साल पहले कोई जीव नहीं था, कोई इतिहास नहीं था. लेकिन रातीगढ़ी खुदाई में 7200 ईसा पूर्व के अवशेष मिल गए. उन्होंने आगे कहा कि भगत सिंह को अग्रेंज परस्तों ने आतंकवादी लिखा, आज के इतिहासकार भगत सिंह तो क्रांतिकारी लिखेंगे. उन्होंने कहा कि यह बदलने को अगर आप कहते हैं कि आरएसएस इतिहास बदल रहा है, तो हमें गर्व है कि हम गलत को सही कर रहे हैं.
बालमुकुंद ने कहा कि ब्रिटिश साम्राज्यवादी इतिहासकार जेम्स मिल (James Mill) ने भारत के इतिहास को हिंदू हिस्ट्री, मुस्लिम हिस्ट्री और ब्रिटिश हिस्ट्री में बांटा. वहीं से भारत के इतिहास को बिगाड़ने का काम शुरू हुआ. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भारतीय इतिहासकार चाहते थे कि भारत के इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण से लिखा जाए.
नेहरू जी ने भी कहा था कि कल का सूर्योदय नया इतिहास लेकर आएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि हम वैदिक काल के समय से 2014 तक का इतिहास लिख रहे हैं. हम वैदिक काल से शुरू कर हर्षवर्धन के काल तक ( 647 ईस्वी) पहला कालखंड रखेंगे. जबकि दूसरा कालखंड सम्राट हर्षवर्धन के अंत काल से 1760 ईसवी तक होगा. तीसरा काल पुनर्जागरण का काल 1760 ईस्वी से 1947 तक का होगा. चौथा कालखंड 1947 से मौजूद वक्त तक होगा. उन्होंने कहा कि 2024 तक भारत का व्यापक इतिहास तैयार कर लेने का लक्ष्य है. बता दें कि साल 2025 में संघ की स्थापना को 100 साल हो रहे हैं.