Bihar Caste Census: बिहार (Bihar) में जातीय जनगणना(Caste Census) का पहला चरण 7 जनवरी से शुरू हो रहा है. इसकी चर्चा पूरे देश(Country) में चल रही है. क्योंकि समय-समय पर कई देश के नेताओं द्वारा इसकी मांग की गई है. देश की दो सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस(Congress) और बीजेपी(BJP) इसकी मुखालफत करती हैं. लेकिन छोटी पार्टियां खासकर जिनकी जातिगत लामबंदी है वो इसकी मांग करते रहे हैं. देश में अंतिम बार साल 1931 में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान जातीय जनगणना हुई थी. वहीं आम जनगणना(Genreal Census) की बात करें तो ये हर 10 साल में होती है. आम जनगणना में खास बात ये है कि इस दौरान लोगों की जाति नहीं पूछ जाती है. इससे बस हमें देश की कुल आबादी का पता चलता है.
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जातीय जनगणना क्या है?
वहीं जातीय जनगणना की मांग करने वालों का तर्क है कि इससे आबादी(Populataion) के साथ-साथ इस बात की पता चलेगा कि देश में कौन-कौन सी जाति(Caste) के लोग रहते हैं? इससे अगर सीधे शब्दों में बताएं तो वो ये कि जाति के आधार पर गणना करना ही जातीय जनगणना कहलाता है. गौर करने वाली बात है कि देश में साल 1941 में भी जातीय जनगणना हुई लेकिन आंकड़े जारी नहीं किए गए. वहीं आजादी के बाद साल 2011 में यूपीए के शासनकाल में भी जातीय जनगणना हुई. लेकिन कमियां बताकर उसे भी जारी नहीं किया गया.
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