Nagar Nigam Polls in Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनावों (Municipal Elections in Uttar Pradesh) की सुगबुगाहट तेज हो गई है. राज्य में 2021 में जिला पंचायत चुनाव (UP Zila Panchayat Chunav 2021) हुए थे. 2023 की शुरुआत में नगर निकाय चुनावों की खबरों से जनता के मन में सवाल पैदा होना लाजिमी है कि आखिर नगर निगम और जिला पंचायत में क्या अंतर (Difference between Nagar Nigam and Nagar Palika) है? इस आर्टिकल में हम नगर निगम और जिला पंचायत के इसी अंतर (Nagar Nigam aur Nagar Palika mein antar) को समझेंगे जो लोकतांत्रिक पद्दति की पहली सीढ़ी मानी जाती है...
नगर पालिका (Municipal Corporations) को तीन तरीके से संविधान में बांटा गया है- नगर पंचायत (Nagar Panchayat), नगर पालिका परिषद (Nagar Palika Parishad) और नगर निगम (Nagar Nigam). 30 हजार से 1 लाख तक की आबादी वाले क्षेत्र को नगर पंचायत के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है जबकि एक नगर पालिका एक लाख से ज्यादा आबादी वाले क्षेत्र की प्रशासनिक व्यवस्था संभालती है और नगर निगम 10 लाख या उससे ज्यादा की आबादी वाले क्षेत्र को नियंत्रित करती है. उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 1360 वार्डों के साथ 17 नगर निगम हैं. शाहजहांपुर नगर निगम राज्य का सबसे नया नगर निगम है. उत्तर प्रदेश में 200 नगर पालिका परिषद (NPP) हैं और 541 नगर पंचायत हैं.
भारत में नगर निगम को लेकर कुछ प्रावधान बनाए गए हैं. 74 वें संशोधन में इसके बारे में विस्तार से लिखा गया है.
किसी शहर को नगर निगम घोषित करने के लिए अलग अधिनियम की आवश्यकता होती है, जैसे – मुंबई नगर निगम अधिनियम, 1988 तथा दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 आदि. हालांकि- कुछ राज्यों में सामान्य कानून के अंतर्गत भी नगर निगम की स्थापना की गई है, जैसे- उत्तर प्रदेश में कानपुर, आगरा, वाराणसी, इलाहाबाद नगर निगम की स्थापना एक सामान्य कानून "उत्तर प्रदेश महानगर पालिका अधिनियम, 1959" के अंतर्गत की गई और कोई अलग अधिनियम पास नहीं हुआ.. इसी तरह मध्य प्रदेश में भी "मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1956" के जरिए ही नगर निगम स्थापित किए जाते हैं.
नगर निगम ज्यादातर शहरी क्षेत्रों में होते हैं. नगर निगम का मतलब ऐसे शहरी क्षेत्रों से है जिनकी आबादी 10,00,000 या उससे ज्यादा हो. भारत में शहरों की बढ़ती आबादी ने इसकी जरूरत पैदा की. शहरीकरण के लिए एक ऐसी निकाय की जरूरत हुई जो शहर के अंदर आवश्यक सामुदायिक सुविधाएं जैसे हेल्थ फैसिलिटी, शिक्षा, परिवहन, जल आदि का प्रबंधन कर सके.
नगर निगम नगर नियोजन और शहरी नियोजन का कार्य करता है
नगर निगम सरकारी भूमि का इस्तेमाल भवन निर्माण में करता है
आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योजनाएं बनाना
एक नगर निगम में आबादी नगर पालिका से 10 गुना ज्यादा होती है.
नगर निगम शहर में पानी की सप्लाई, सीवर कार्य, खड़ंजे-नाली का निर्माण आदि करता है.
क्षेत्र के अंदर आ रहे तहसील और पुलिस स्टेशन से भी आय होती है.
बनाई गई योजनाओं पर अमल कर उन्हें लागू करना
सार्वजनिक स्वास्थ्य की व्यवस्था बनाना
गरीब बस्ती के बच्चों की शिक्षा
गरीबी उन्मूलन पर कार्य करना
जन्म और मृत्यु रिकॉर्ड को रखना
पार्क और खेल के मैदान बनाना और उनकी देख-रेख करना
भारत में नगर पालिका एक ऐसी लोकल बॉडी है जो 1,00,000 या इससे ज्यादा आबादी के क्षेत्र का प्रबंधन संभालती है. इसकी सीमा अमूमन 10 लाख तक होती है. नगर पालिका का क्षेत्राधिकार तहसील में होता है और यह इस क्षेत्र की आबादी की जरूरतों से जुड़े काम करती है. यह कार्य उसी तरह के होते हैं जैसे कि नगर निगम के लेकिन इसकी क्षेत्रीय सीमा शहरी नहीं होती है. नगर पालिका संवैधानिक ( 74 वे संशोधन ) अधिनियम के अंतर्गत आता है.
प्रशासनिक क्षेत्र में जल आपूर्ति की व्यवस्था करना
नगर पालिका क्षेत्र में अस्पतालों की देखरेख करना
क्षेत्र में बनी सड़कों के निर्माण को देखना, उनकी जांच करना
शहर में कचरा प्रबंधन और जल निकास की व्यवस्था करना
जन्म और मृत्यु रिकॉर्ड को रखना
पार्क और खेल के मैदान बनाना और उनकी देख-रेख करना
ये भी देखें- MCD Election 2017: बीजेपी का खिला था कमल, जानिए कितनी सीटें किसे मिली थी?