Presidential Elections 2022: द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देगी शिवसेना, क्या अब बीजेपी से मिलाएगी हाथ?

Updated : Jul 14, 2022 16:30
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Editorji News Desk

Presidential Elections 2022: राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Elections 2022) में शिवसेना (Shiv Sena) बीजेपी (BJP) की अगुवाई वाली एनडीए (NDA) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ( Draupadi Murmu) का समथर्न करेगी. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने 16 सांसदों की अपील के बाद ये फैसला लिया. बता दें कि राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होना है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिवसेना के 22 सांसदों में से 16 ने  उद्धव ठाकरे के साथ हुई मीटिंग में उनसे मुर्मू  के सपोर्ट की अपील की थी. उनका कहना था कि  राष्‍ट्रपति चुनाव में पार्टी को एनडीए कैंडिडेट द्रौपदी मुर्मू को वोट करना चाहिए क्‍योंकि वे आदिवासी समुदाय की महिला हैं. इससे पहले भी हम  मराठी के मुद्दे पर प्रतिभा पाटिल का समर्थन कर चुके हैं.

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 शिवसेना सांसद गजानन कीर्तिकर ने सोमवार को बताया था कि बैठक के दौरान शिवसेना के लोकसभा के 16 और राज्यसभा के दो सांसद मौजूद रहे थे. हालांकि बैठक में दो सांसद भावना गवली और श्रीकांत शिंदे मौजूद नहीं थे. गौरतलब है कि  राष्‍ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए की प्रत्‍याशी द्रौपदी मुर्मू का मुकाबला विपक्ष के उम्‍मीदवार यशवंत सिन्‍हा से है.

संजय राउत ने किया फैसले का बचाव

वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय राउत (Sanjay Ratut)  ने पार्टी के इस फैसले का बचाव किया. उन्होंने कहा कि द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का मतलब बीजेपी का समर्थन करना नहीं है. हम आदिवासी नेता के नाम पर द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर रहे हैं. इसके अलावा जनभावना का ख्याल रखते हुए भी यह फैसला लिया गया है. विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को लेकर उन्होंने कहा कि हमारी सद्भावना उनके साथ है. बता दें कि विपक्ष के उम्मीदवार को लेकर जब मीटिंग हुई थी, तब उसमें शिवसेना ने भी हिस्सा लिया था. लेकिन अब उसका रुख विपक्षी एकता को भी एक झटके जैसा है. 

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क्यो बदला हैं उद्धव का रुख?
बता दें कि एकनाथ शिंदे गुट ने पार्टी से बगावत करने के बीजेपी से हाथ मिला लिया है. एकनाथ शिंदे बीजेपी के सपोर्ट से महाराष्ट्र के सीएम बन गए हैं. इसके बाद से उद्धव ठाकरे की नेतृत्व वाली शिवसेना संकट का सामना कर रही है. शिंदे गुट विद्रोह के दौरान लगातार मांग कर रहा था कि शिवसेना को कांग्रेस और NCP से संबंध खत्‍म करके बीजेपी के साथ फिर से गठजोड़ करना चाहिए. उद्धव ठाकरे ने इससे इनकार कर दिया था और सीएम पद से इस्‍तीफा दे दिया था.

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