श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट ( economic crises) के बीच भारत में एक सर्वदलीय बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की. इस दौरान विदेश मंत्री ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि श्रीलंका से सबक लेते हुए भारत में 'रेबड़ी' कल्चर यानि राजनीतिक दलों (political parties) को वोट के लिए मुफ्त के कल्चर से बचना चाहिए. बैठक के बाद मीडिया ब्रीफिंग ( media briefing)ने श्रीलंका संकट पर बोलते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उन तुलनाओं के बारे में भी अपनी बात रखी जिसमें कहा जा रहा है कि भारत में भी श्रीलंका जैसे हालात हो सकते हैं.
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सर्वदलीय बैठक में 46 दलों को बुलाया
विदेश मंत्री ने कहा कि श्रीलंका को लेकर भारत में कई गलत तुलनाएं हो रही हैं. हालांकि विदेश मंत्री ने यह ज़रूर कहा कि हमें अपने पड़ोसी देश में हो रहे आर्थिक संकट की घटना से सबक लेने की ज़रूरत है. राजकोषीय विवेक, जिम्मेदार शासन और मुफ्त की संस्कृति ( free culture) नहीं होनी चाहिए और इसीलिए सरकार ने पहल करते हुए 46 दलों के नेताओं को सर्वदलीय बैठक में बुलाया था. बैठक में 28 दलों के 38 नेता शामिल हुए. सरकार चाहती है कि सभी दलकर मिलकर श्रीलंका के हालात को बारीकी से देखें.
भारत ने श्रीलंका की 3.8 बिलियन डॉलर की मदद की- जयशंकर
सर्वदलीय बैठक में शामिल होने वाले नेताओं में कांग्रेस से पी चिदंबरम एनसीपी से शरद पवार, डीएमके से टीआर बालू, AIADMK से एम थंबीदुरई , तृणमूल कांग्रेस से सौगत रे, नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारुक अब्दुल्ला
और आम आदमी पार्टी से संजय सिंह शामिल हुए. इस दौरान DMK और AIDMK जैसे दलों ने सरकार से श्रीलंका मामले में हस्तक्षेप करके की मांग की. वहीं विदेश मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत ने श्रीलंका की किसी भी देश की तुलना में सबसे ज्यादा 3.8 बिलियन डॉलर ( billion dollar) की मदद की है और आगे भी श्रीलंका की स्थित पर नज़र रख रहा है.