Rajasthan Politics; राजस्थान की दो अहम समितियों चुनाव समिति और मेनीफेस्टो समिति से वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को साइड करने के बाद सियासी गलियारे में ये चर्चा काफी गर्म है कि वसुंधरा राजे से बीजेपी पीछा छुड़ाना चाह रही है.
हालांकि जानकारों का मानना है कि वसुंधरा ने स्थितियों को पहले भी भांप लिया था इसलिए देवदर्शन यात्रा के बहाने अपने शक्ति का प्रदर्शन किया. उन्हें जननेता माना जाता है और जयपुर दौरे पर गए अमित शाह ने भी मंच पर वसुंधरा राजे को सम्मान देकर उनकी अहमियत का संकेत दे दिया था.
ऐसी स्थिति में ऐसा क्या हुआ जिससे वसुंधरा से पैर के नीचे से सियासी जमीन खिसकती हुई नजर आ रही है. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक राजस्थान में बीजेपी के क्षत्रपों की संख्या काफी है उनके पास गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, सतीश पुनिया, ओम बिरला जैसे नेता हैं जो वसुंधरा के धूर विरोधी माने जाते हैं. इनलोगों ने पहले ही कह दिया था कि राजस्थान का चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा जाएगा.
दरअसल कांग्रेस की राज्य की सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी के प्रदेशस्तर के नेता वसुंधराराजे को जिम्मेदार मानते हैं यही वजह है कि प्रदेशस्तर के नेता भी मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ना चाहते हैं. उनका मानना है कि विधानसभा में बुरी तरह हारने वाली बीजेपी को महज 4-5 महीने बाद लोकसभा चुनाव 2019 में राज्य की जनता ने 25 सीटें थमा दी. ये लोग विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचलित नारे मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधऱा तेरी खैर नहीं को भी याद कर रहे हैं.
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