चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) क्या अब बिहार की राजनीति में अपना भविष्य देख रहे हैं? उनके नए ट्वीट को देखकर लोगों के मन में यही सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि अब वह कमरे में बंद होकर रणनीति बनाने के बजाए लोगों के बीच जाने की बातें कर रहे हैं. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि 'पिछले 10 सालों में मैंने लोकतंत्र में अपनी भागीदारी और जन-समर्थक नीतियों को आकार देने की खोज के दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे. लेकिन अब मैं नया पन्ना पलटने जा रहा हूं. मुद्दों और जन सुराज के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए अब 'रियल मास्टर्स' यानी जनता के पास जाने का समय आ गया है, शुरुआत बिहार से होगी.'
पीके के ट्वीट का मतलब समझने से पहले जान लें कि बिहार में 2025 में चुनाव होना है. लोकसभा चुनाव भी 2024 में है. इसके अलावा प्रशांत किशोर 2015 के चुनावों से पहले भी इस तरह का दौरा कर चुके हैं. तब उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मिलकर सात निश्चय योजना, जिसमें 'हर घर नल का जल', 'हर घर बिजली', 'हर घर तक पक्की नली-गली', 'हर घर शौचालय', 'आर्थिक हल युवाओं को बल' आदि जैसे मुद्दों को उठाया था.
हालांकि बीते दिनों प्रशांत किशोर के कांग्रेस में जाने की चर्चा थी, लेकिन अंतिम दौर में बात नहीं बनी. वहीं बिहार वापस आने के बाद प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से मुलाकात भी नहीं की है. इससे लगता है कि पीके नए राजनीतिक विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं.
एक बात यह भी है कि जाति के आधार पर प्रशांत किशोर राजनीति नहीं कर सकते. क्योंकि बिहार में आबादी के लिहाज से ब्राह्मणों का कोई खास भविष्य नहीं है. ऐसे में बेरोजगार आधारित समुदाय पर फोकस करना उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. तो क्या वह पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के रास्ते पर चलकर अपना सियासी भविष्य तय करने वाले हैं और असंतुष्टों के साथ मिलकर 'जन सुराज' को आगे बढ़ाएंगे.
और पढ़ें- SpiceJet Turbulence: तूफान में फंसा मुंबई से दुर्गापुर जा रहा विमान, देखें अंदर का वीडियो
वैसे प्रशांत किशोर 5 मई को संवाददाता सम्मेलन कर अपनी आगे की रणनीति का खुलासा करने वाले हैं.