पंजाब के जालंधर लोकसभा सीट के लिए वोटिंग जारी है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान यहां से सांसद थे. यह चुनाव साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तस्वीर साफ भले न करे, लेकिन पंजाब का राजनीतिक समीकरण बदल सकता है. यही वजह है कि जालंधर लोकसभा सीट के उपचुनाव को सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के लिए साख का सवाल बन गया है. यह चुनाव परिणाम देश की सबसे पुरानी क्षेत्रिय पार्टी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के लिए भी अस्तित्व का सवाल बन गया है तो यह भी साबित हो जाएगा कि कांग्रेस पार्टी पंजाब में अपने सियासी जमीन वापस हासिल कर पाएगी या नहीं.भाजपा अभी भी पंजाब में अपनी सियासी जमीन की तलाश में जुटी है.
बुधवार सुबह 7 बजे से ही इस लोकसभा सीट पर वोटिंग जारी है. इसका परिणाम भी कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम वाले दिन 13 मई को ही आएगा.
इस उपचुनाव में बात हम आम आदमी पार्टी (aam adami party) की करें तो पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में 92 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बावजूद संगरुर लोकसभा सीट का उपचुनाव हार गई थी. खास बात यह है कि आप को जिस सीट से चुनाव हारी, वहां से पंजाब के बर्तमान मुख्यमंत्री भगवंत मान दो बार चुनाव जीत चुके थे. बाद में विधानसभा का चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने थे. अभी लोकसभा में आप का कोई भी सांसद नहीं है.
वहीं, भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद शिरोमणि अकाली दल (sad) अपना तीसरा चुनाव लड़ रहा है. विधानसभा में शिअद के मात्र तीन ही प्रत्याशी चुनाव जीत सके. यही वजह है कि जालंधर लोकसभा उपचुनाव (jalandhar loksabha byelection)शिअद के लिए बेहद अहम है.
वहीं, पिछले पांच लोकसभा चुनाव से जालंधर सीट पर जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस पार्टी के लिए यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को ही सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था. वह 77 से सिमट कर 18 सीटों पर रह गई.
भाजपा के लिए भी है अहम
अपने दम पर पंजाब की राजनीति में पांव जमाने की कोशिश कर रही भाजपा ने भी उपचुनाव को अहम का सवाल बना रखा है। पहली बार जालंधर लोकसभा का चुनाव लड़ रही भाजपा (गठबंधन में रहते हुए शिअद लड़ता था) ने अपनी पूरी ताकत उपचुनाव में झोक दी। भाजपा ने शिअद के पूर्व विधायक इंदर इकबाल सिंह अटवाल पर दांव खेला, क्योंकि इंदर इकबाल के पिता डा. चरणजीत सिंह अटवाल अकाली दल के टिकट पर जालंधर से चुनाव लड़ चुके हैं।