Bihar Opposition Metting: सियासी गलियारे में पिछले एक महीने से सुर्खियों में रहने वाली विपक्ष की बैठक आखिरकार शुक्रवार को खत्म हुई. इस बैठक में आम आदमी पार्टी की बेरूखी को छोड़ दें तो सभी पार्टियों ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की. लेकिन एकजुटता की असल परीक्षा अभी बाकी है. क्योंकि सीट बंटवारे से लेकर प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी पर अभी तक चर्चा नहीं हुई है. दूसरी तरफ यह भी सच है कि जिस तरह से 15 राजनीतिक दल एक साथ सामने आए हैं. यह एकता बनी रही तो 2024 का लोकसभा चुनाव वाकई दिलचस्प होने वाला है. आइए जानते हैं इस बैठक के शुरू से अबतक की कहानी.
विपक्षी दलों की एकजुटता का तानाबाना पिछले साल बिहार में जदयू बीजेपी गठबंधन के टूटने के बाद से ही बुना जाने लगा था. बीजेपी से गठबंधन तोड़कर नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर सरकार बना ली. इस गठबंधन में भी मुख्यमंत्री तो नीतीश कुमार ही रहे, लेकिन उनके अंदर प्रधानमंत्री बनने की लालसा जाग उठी.
बस यहीं से नीतीश खुद को राष्ट्रीय नेता के रूप में प्रोजेक्ट करने में जुट गए. उन्होंने हर मंच से भाजपा और पीएम मोदी विरोधी सभी दलों को एक साथ आने की अपील करनी भी शुरू कर दी.
इधर राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा और कांग्रेस पार्टी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में व्यस्त थी तो उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी नगर निकाय चुनाव में अपनी सियासी जमीन टटोलने में जुटी थी. दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रामनवमी के अवसर पर हुए दंगे को शांत करने पर काम कर रही थीं. लेकिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अलग ही सियासी गणित सुलझाने में जुटे थे.
मौका मिलते ही उन्होंने सभी विपक्षी दलों के न्योता भेज दिया. उनके लिए राहत की बात यह रही कि 19 दलों ने सहमति भी जता दी. हालांकि, अपने ही राज्य में नीतीश के गठबंधन में दरार पड़ गया. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने विपक्षी दलों की बैठक में नहीं बुलाए जाने से नाराज होकर गठबंधन तोड़ दिया.
बहरहाल, 12 जून को बैठक की तारीख तय हुई. लेकिन कांग्रेस पार्टी नेता राहुल गांधी के अमेरिका में होने की वजह से इसकी तारीख बढ़ाकर 23 जून कर दी गई. तय तारीख पर 19 में से 15 दल पटना पहुंच गए.
हालांकि, इस बीच दिल्ली विधानसभा पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ राज्यसभा में समर्थन जुटाने में लगी आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को भी विपक्ष की बैठक में उठाने की मांग कर दी. जिस पर कांग्रेस पार्टी ने आपत्ति जताते हुए चर्चा से इंकार कर दिया तो आप मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बैठक के बहिष्कार करने की चेतावनी दे दी. केजरीवाल की मांग पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सहमति तो जताई लेकिन कांग्रेस अपने स्टैंड पर कायम रही. बैठक के बाद केजरीवाल ने कांग्रेस पर बीजेपी से मिले होने का आरोप भी लगाया.
इन सब उतार-चढ़ाव के बीच बैठक सफलतापूर्वक संपन्न हुई. बैठक के बाद आयोजित प्रेसवार्ता में सभी दलों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ने की बात कही. साथ ही अगली बैठक 12 जुलाई को शिमला में होने पर सहमति बनी. शिमला बैठक में सीट बंटवारे पर चर्चा होगी.