अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने मैनपुरी लोकसभा सीट (Mainpuri Lok Sabha Seat) पर हो रहे उपचुनाव (Byelection) में अपनी ताकत झोंक दी है. वो यहां घर-घर जाकर अपनी पत्नी डिंपल यादव (Dimple Yadva) के लिए वोट मांग रहे हैं. इसके बाद ये सवाल उठा रहे हैं कि क्या वो रामपुर (Rampur) और खतौली (khatauli) विधानसभा सीट में होने जा रहे उपचुनाव में भी प्रचार करते दिखेंगे. अखिलेश यादव उपचुनाव में प्रचार से खुद को दूर ही रखते थे, लेकिन उनके पिता मुलायम (Mulayam Singh Yadav) के निधन के बाद मैनपुरी सीट पर उपचुनाव हो रहा है, सपा की गढ़ कहे जाने वाली पर सीट पर वो कोई चांस नहीं लेना चाहते हैं, इसी वजह से वो खुद इस बार प्रचार की बागडोर संभाले हुए हैं.
बता दें कि सपा के मुस्लिम चेहरे माने वाले आजम खान (Azam Khan) को हेट स्पीच मामले (Hate Speech) में तीन साल की सजा होने के चलते रामपुर सीट पर उपचुनाव हो रहा है. सपा ने इस बार इस सीट पर आसिम रजा को उतारा है. रामपुर सपा की परंपरागत सीट रही है और बीजेपी ने इस बार इस सीट पर पूरी ताकत लगा रखी है. इसके बावजूद अखिलेश रामपुर सीट पर चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचे हैं. ये गौर करने वाली बात है कि रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भी अखिलेश यादव प्रचार करने नहीं गए थे.
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रामपुर के अलावा खतौली विधानसभा सीट पर भी बीजेपी के विधायक विक्रम सैनी को सजा होने की वजह से उपचुनाव हो रहा है. सपा की सहयोगी पार्टी आरएलडी की ने यहां मदन भैया को अपना उम्मीदवार बनाया है. जयंत चौधरी ने बीजेपी को हराने के लिए खतौली में पूरी ताकत लगा रखी है, ऐसे में ये देखना होगा कि अखिलेश यादव क्या गठबंधन धर्म निभाते हुए प्रचार करने खतौली आएंगे? साल 2024 के लोकसभा के लिहाज से पश्चिमी यूपी के लिए खतौली सीट को लिट्मस टेस्ट माना जा रहा है. रामपुर सीट पर यादव-मुस्लिम समीकरण तो खतौली सीट पर गुर्जर-जाट-मुस्लिम कॉम्बिनेशन मजबूत है. ऐसे में अखिलेश यादव के चुनाव प्रचार में उतरने से गठबंधन को सियासी फायदा मिलने की उम्मीद है.
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