Andhra Pradesh politics: पिघलने वाली है BJP और TDP के बीच जमी बर्फ, अमित शाह से मुलाकात ने बढ़ाई चर्चा

Updated : Jun 05, 2023 20:51
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Editorji News Desk


कहते हैं सियासत में रिश्ते दिल से नहीं, जरूरत से बनते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में एनडीए का सबसे मजबूत चेहरा माने जाने वाले आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (former cm chandrababu nayadu) की फिर से वापसी की चर्चा शुरू हो गई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (home minister amit shah) और तेलगू देशम पार्टी (telagu desham party) के मुखिया चंद्रबाबू नायडू के बीच हुई मुलाकात के बाद सियासी गलियारे में चर्चा यह है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में दोनों हाथ मिला सकते हैं. नायडू की पार्टी 2018 में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने से नाराज होकर एनडीए से बाहर हो गई थी. भाजपा और टीडीपी के बीच तल्खी इस कदर बढ़ गई थी कि टीडीपी मोदी सरकार के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ गई थी.
अभी चर्चा की वजह 
 गृहमंत्री अमित शाह और आंध्रप्रदेश (andhra pradesh) के पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू के बीच शनिवार शाम को मुलाकात हुई. नायडू के आवास पर हुई यह मीटिंग करीब एक घंटे चली, जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गई. इसके बाद से चर्चा है कि दोनों पार्टियां 2024 चुनाव एक साथ लड़ सकते हैं. हालांकि, पार्टी के नेताओं ने गठबंधन पर कुछ भी टिप्पणी करने से मना किया है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब टीडीपी के एनडीए में आने की चर्चा है. इससे पहले मार्च महीने में भी चर्चाओं का बाजार गर्म हुआ था.
पोर्टब्लेयर में टीडीपी के समर्थन
24 सीटों वाली पोर्टब्लेयर नगर निगम चुनाव में बीजेपी  10 सीटें जीतकर किंगमेकर की भूमिका में आ गई. यहां टीडीपी से समर्थन दिया और परिषद पद पर कब्जा कर लिया. नतीजा, 11 सीटें जीतकर भी कांग्रेस पार्टी नगर परिषद अध्यक्ष पद से दूर रही.

विशेष राज्य की मांग पर एनडीए (nda) से क्यों अलग हुए थे नायडू
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान करीब दस साल बाद चंद्रबाबू नायडू की पार्टी एनडीए में लौटी थी. 2014 का चुनाव दोनों दलों ने साथ मिलकर लड़ा. लेकिन, 2018 आते-आते दोनों के रास्ते अलग हो गए. चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर हंगामा कर रही थी. 
बजट में नायडू की पार्टी की मांग का कोई जिक्र नहीं होने के बाद दोनों दलों में तल्खी बढ़ गई और दोनों दलों के रास्ते अलग हो गए. यहां तक कि टीडीपी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (low confidence motion) तक लेकर आ गई थी.

कब-कब बीजेपी के साथ आ चुके हैं नायडू 

चंद्रबाबू नायडू ने 1978 में कांग्रेस से अपनी चुनावी राजनीति शुरू की. 1980 में कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे. 1982 में जब एनटी रामाराव (nt ramarao) ने कांग्रेस के विरोध में पार्टी बनाई तो भी नायडू कांग्रेस में बने रहे. 1982 के चुनाव में नायडू को हार मिली. वहीं, उनके ससुर राज्य के मुख्यमंत्री बन गए.   1884 में जब रामाराव सरकार गिराने की कोशिश हुई तो नायडू ने ही गैर-कांग्रेसी विधायकों को एकजुट करके रामाराव की सरकार बचाई. 
लेकिन, इन्हीं चंद्रबाबू नायडू ने 1995 में अपने ही ससुर को पार्टी से बेदखल कर दिया और पार्टी पर कब्जा करने साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री भी बन गए. 1996 में जब केंद्र में संयुक्त मोर्चा सरकार बनी तो नायडू उस गठबंधन को बनाने वाले अहम चेहरों में थे. 
वहीं, 1998 में उन्होंने पाला बदला और एनडीए के साथ हो लिए. 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी (atal bihari vajpayee) देश के प्रधानमंत्री बने. 2004 में एनडीए की हार हुई तो नायडू ने इस हार के लिए गुजरात में हुए दंगों और नरेंद्र मोदी की छवि को बाताते हुए एनडीए से किनारा कर लिया. 10 साल बाद 2014 में एक बार फिर नायडू एनडीए के साथ आए. 

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