नोएडा के मशहूर ट्विन टावर को जमींदोज होने में अब 24 घंटे से भी कम का वक्त बचा है. 28 अगस्त को दोपहर 2:30 बजे सिर्फ 12 सेकेंड में 29 और 31 मंजिला दो इमारतें मिट्टी में मिल जाएंगी. इसके लिए प्रशासन और इंजीनियर्स ने पूरी तैयारी कर ली है. आस-पास के इलाकों को खाली करवा लिया गया है. वहीं, इस दौरान दिल्ली-नोएडा हाइवे को भी 28 अगस्त को करीब पांच घंटों के लिए बंद रखा जएगा. लेकिन बड़ा सावल ये है कि आखिर किस तकनीक की मदद से ट्विन टॉवर को गिराया जाएगा. तो आईये हम आपको बताते हैं.
इम्प्लोजन ब्लास्ट से गिरेगा ट्विन टावर
ट्विन टॉवर को ढहाने के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है उसे इम्प्लोजन कहते हैं. यानी एक ऐसा विस्फोट जिसके बाद चीजें अंदर की ओर सिमट जाएं. इस तकनीक का इस्तेमाल खास कर रिहायशी इलाकों में मौजूद गगनचुंबी इमारतों को गिराने के लिए किया जाता है. इम्प्लोजन के लिए 32 मंजिला ट्विन टॉवर को महज 12 सेकेंड में जमींदोज कर दिया जाएगा. लेकिन इसकी तैयारी में करीब 181 दिन लगे हैं. इसे गिराने का जिम्मा मुंबई की एडिफाइस इंजीनियरिंग और साउथ अफ्रीका की जेट डिमोलिशंस को मिला है. गौरतलब है कि 21 फरवरी 2022 से 350 वर्कर्स और 10 इंजीनियर्स की टीम डिमोलिशन का स्टेज सेट करने में जुटी है.
कैसे तैयार हुआ इम्प्लोजन ब्लास्ट का सेट ?
सबसे पहले इंजीनियर्स ने ट्विन टॉवर का ब्लूप्रिंट निकाला और ब्लास्ट की प्लानिंग और इसके इम्पेक्ट का पूरा एनालिसिस किया. इसके बाद बिंल्डिंग के पिलर्स और दीवारों पर 35 मिलीमीटर के 9,642 गड्ढे बनाए गए. तीसरे स्टेप में दीवारों और फर्श को जियोटेक्सटाइल कपड़ों से ढंगा गया. जिससे मलबा कम बिखरे. इसके बाद गैस पाइपलाइन को बचाने के लिए स्टील प्लेट्स बिछाई गईं और रिहाइशी इलाके की तरफ एक कंटेनर वॉल बनाई गई. आखिर में पिलर्स और दीवारों में बनाए गए गड्ढों में करीब 3700 किलो विस्फोटक लगाए गए.