Monkeypox Virus: कोरोना महामारी का खौफ झेल चुकी दुनिया पर अब मंकीपॉक्स (Monkeypox) नाम के वायरस का खतरा मंडरा रहा है. रविवार को डब्ल्यूएचओ (WHO) ने चेतावनी देते हुए कहा कि बीते 10 दिनों में 12 देशों में 92 मामले मंकीपॉक्स के दर्ज हुए हैं. जो कि गैर-स्थानिक हैं. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि आगे भी मामले तेजी से बढ़ेंगे, इसलिए सावधान रहने की जरूरत है. दरअसल इन मामलों में ब्रिटेन, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, अमेरिका, कनाडा में ऐसे मरीज मिले हैं, जिन्होंने पहले कभी अफ्रीका की यात्रा नहीं की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि हम अपने साझेदारों के साथ मिलकर मंकीपॉक्स फैलने के संबंध में गंभीरता से काम कर रहे हैं. मंकीपॉक्स संक्रमण को रोकने की हर संभव कोशिश की जा रही है.
वहीं भारत सरकार भी अब अलर्ट मोड में आ गई है. स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) और आईसीएमआर (ICMR) को स्थिति पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया है. विशेषज्ञों की मानें कि घबराने की जरूरत नहीं है.
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मंकीपॉक्स का पहला मामला लंदन में 5 मई को सामने आया था. यहां एक ही परिवार के 3 लोगों के बीच मंकीपॉक्स संक्रमण का मामला पाया गया था.
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स संक्रमण का इनक्यूबेशन पीरियड आमतौर पर 6 से 13 दिनों का होता है, हालांकि कुछ लोगों में यह 5 से 21 दिनों तक भी हो सकता है. संक्रमित व्यक्ति को बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फैडेनोपैथी, पीठ और मांसपेशियों में दर्द के साथ गंभीर कमजोरी का अनुभव हो सकता है. लिम्फ नोड्स की सूजन की समस्या को सबसे आम लक्षण माना जाता है. इसके अलावा रोगी के चेहरे और हाथ-पांव पर बड़े आकार के दाने हो सकते हैं. कुछ गंभीर संक्रमितों में यह दाने आंखों के कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मंकीपॉक्स से मौत के मामले 11 फीसदी तक हो सकते हैं. संक्रमण से छोटे बच्चों में मौत का खतरा अधिक रहता है.
मंकीपॉक्स एक चिकनपॉक्स की तरह का वायरस है लेकिन इसमें अलग तरह का वायरल संक्रमण होता है. ये सबसे पहले साल 1958 में कैद हुए एक बंदर में पाया गया था. साल 1970 में ये पहली बार ये किसी इंसान में पाया गया. ये वायरस मुख्यरूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के वर्षावन इलाकों में पाया जाता है.