इंदौर की जिस अपहरण की वारदात ने मध्य प्रदेश और राजस्थान पुलिस की नींद उड़ा रखी थी, वो फर्ज़ी निकला.हालांकि जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए थे पुलिस को संदेह था कि ये अपहरण फर्ज़ी हो सकता है.
मामला इंदौर का है अचानक एक पिता के पास कुछ फोटो और वीडियो आता है. जिसमें उनकी बेटी थी और वीडियो में बेटी के अपहरण को दिखाया गया था. पिता ने मामले की सूचना पुलिस को दी जिसके बाद जांच शुरू हुई क्योंकि मामला एक युवती के दिनदहाड़े अपहरण से जुड़ा हुआ था. पुलिस की जांच में कोटा का कनेक्शन इंदौर से जुड़ा मिला.
ताबड़तोड़ राजस्थान पुलिस की टीम इंदौर पहुंची पर यहां तीन अलग-अलग ठिकानों पर दबिश. यह एक ऐसा अपहरण कांड था, जिसकी जांच दो राज्यों की पुलिस, दो राज्यों के डीजीपी, दो राज्यों के मुख्यमंत्री और एक केंद्रीय मंत्री के निर्देश पर चल रही थी. इस फर्जी अपहरण की कहानी कुछ ऐसी है कि शिवपुरी की रहने वाली लापता युवती काव्या दोस्त हर्षित के साथ भवरकुंआ क्षेत्र के पिपलिया राव स्थित सिमरन पीजी-हॉस्टल पहुंचती है. यहां हर्षित का दोस्त बृजेंद्र रहता है. यहीं आकर एक दिन के लिए हर्षित और काव्या दोनों ब्रजेंद्र के भाई बहन बनकर पीजी में रहते है.
यहीं से शुरू होती है अपहरण की झूठी साजिश. काव्या अपने ही अपहरण की साजिश रचने के लिए उसने खुद ही हाथ पैर बंधवाकर, मुंह पर कपड़ा लगाकर फोटो-वीडियो पिता को भेजती है. दरअसल, काव्या को पता था कि उसके पिता की जमीन शिवपुरी में 54 लाख रुपये की बिकी थी. ये रकम दो हिस्सों में आनी थी. उसे पता था कि बचे हुए 27 लाख रुपये जल्द पिता को मिलने वाले हैं. इसलिए उसने पहले ही अपने अपहरण की फिरौती की कीमत 30 लाख रुपये रखी.