West Bengal: 21वीं सदी के दौर में वैदिक युग की प्रथा लौट आई है. जी हां आपने सही सुना है. जैसा की उस दौर में न केवल पुत्रों का बल्कि पुत्रियों का भी उपनयन संस्कार (Thread ceremony) किया जाता था वैसा ही एक नजारा कोलकाता (Kolkata) के बीरभूमि में देखने को मिला. यहां एक डॉक्टर दंपत्ति बसंत बनर्जी और कौशानी बनर्जी ने अपनी बेटी 'कैरवी' का 'उपनयन संस्कार' करवाया. जैसे ही मंत्रों और जाप के बीच कैरवी का उपनयन संस्कार पूरा हुआ ये दंपत्ति सुर्ख़ियों में आ गया.
बनर्जी दंपत्ति ने बताया कि हमने कोई नई परंपरा की शुरुआत नहीं की है बल्कि ये तो वैदिक युग से चली आ रही है. वैदिक युग में पुत्रियों का भी जनेऊ संस्कार (Janeu Sanskar) होता था. हम उसी परंपरा की दोबारा शुरू कर रहे हैं.
डॉक्टर दंपत्ति ने ये भी बताया कि 2014 में उनकी पुत्री के अन्नप्राशन के समय पुरोहित यज्ञ का आयोजन करने के लिए तैयार नहीं थे. पुरोहित का कहना था कि यज्ञ केवल पुत्र के क्षेत्र में किया जाता है. तब मेरे पिताजी बांसुरी मोहन बंद्योपाध्याय ने समझाया था कि धार्मिक अनुष्ठान में इस तरह के निषेध नहीं किये जाते. तभी से मेरे मन में आया था कि मैं अपनी पुत्री का जनेऊ संस्कार भी कराऊंगा.
ये भी पढ़ें: Badaun Double murder case : जावेद पर 25 हजार का इनाम, पता बताओ और इनाम ले जाओ