यूपी विधानसभा (UP Assembly) में शुक्रवार को एक अलग ही नजारा दिखाई दिया. विधानसभा में अदालत लगी और कटघरे में थे 6 पुलिसकर्मी. विशेषाधिकार हनन के मामले में छह पुलिसकर्मियों को एक दिन कारावास की सजा सुनाई गई. यह सजा 3 मार्च रात 12 बजे तक होगी. इस दौरान सभी पुलिसकर्मियों को विधानसभा में बनी सेल के लॉकअप में रखे जाएंगे. सजा के बाद मार्शल सभी दोषी पुलिसकर्मियों को सदन से ले गए. इससे पहले 1962 में यूपी विधानसभा में ऐसा नजारा देखने को मिला था.
जिन पुलिसकर्मियों को सजा मिली है उनमें प्रमुख रूप से सीओ अब्दुल समद हैं. साथ ही, कानपुर के किदवई नगर के थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, SI थाना कोतवाली त्रिलोकी सिंह, किदवई नगर थाने के सिपाही छोटे सिंह यादव, काकादेव थाने के सिपाही विनोद मिश्र और काकादेव थाने के सिपाही मेहरबान सिंह शामिल हैं. ये सभी 2004 में कानपुर में शहर के अलग अलग थानों में तैनात थे. मामला 2004 में पुलिस लाठीचार्ज का था.
दरअसल 2004 में SP सरकार के कार्यकाल में बिजली कटौती के विरोध में वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना कानपुर में धरना दे रहे थे. इस दौरान बीजेपी विधायक और कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इस लाठीचार्ज में तत्कालीन विधानसभा सदस्य सलिल विश्नोई का पैर टूट गया था. वह कई महीने बिस्तर पर रहे थे. इसके बाद विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना 25 अक्टूबर 2004 को विधानसभा सत्र में रखी गई थी.
सलिल विश्नोई ने बताया कि सदन की विशेषाधिकार समिति में करीब डेढ़ साल सुनवाई हुई जिसके बाद इन पुलिसकर्मियों को सर्वसम्मति से दोषी पाया गया था लेकिन सजा नहीं हो पाई थी.
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