Bihar News: बिहार (Bihar) के बगहा में आदमखोर टाइगर ने एक बार फिर दो लोगों को निशाना बनाया है. आतंक का पर्याय बन चुके बाघ (Tiger Attack In Bagaha) ने इस बार (Tiger Hunted Mother And Son In Bagaha) एक मां-बेटे पर हमला कर दिया, जिससे दोनों की मौके पर मौत हो गई. घटना शनिवार सुबह सात बजे की है. दोनों मां बेटे गोवर्धना थाना के बलुआ गांव के रहने वाले थे. इसके साथ ही बाघ के हमले से मरने वालों संख्या बढ़कर अब 9 हो गई है.
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स्थानीय लोगों के मुताबिक बलुआ गांव के स्वर्गीय बहादुर यादव की पत्नी सिमरिकी देवी और उनके बेटे को बाघ ने अपना शिकार बनाया है. बाघ के आतंक से भयभीत ग्रामीण गुस्से में हैं (Terror of Tiger In Bagaha) बाघ ने लगातार दूसरे दिन दो लोगों को अपना शिकार बनाया है, जिसके बाद इलाके में भय का माहौल है. हालात ऐसे हैं कि ग्रामीण अब घर से बाहर निकलने में डर रहे हैं. यहां तक कि मवेशियों के लिए चारा भी घर पर नहीं ला रहे हैं. ये लोग वन विभाग से 'जियो और जीने दो' की गुहार लगा रहे हैं. आदमखोर बाघ को मारने के लिए बिहार एसटीएफ वहां तैनात है. बाघ भी बार-बार अपना ठिकाना बदल रहा है. जिससे उस तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है.
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वीटीआर डीएफओ प्रद्युम्न गौरव के मुताबिक बाघ को मारने का ऑडर देने की एक पूरी प्रक्रिया होती है, जो मिल गई है. उनका कहना है कि पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपए मुआवजा देने का प्रावधान है,उन्होने कहा कि पिछले तीन दिनों में आदमखोर बाघ ने चार लोगों को अपना शिकार बनाया है. उन्होंने कहा कि ये बाघ जंगल में रहने की प्रवृति को छोड़ चुका है, रिकार्ड से पता चला है कि इसका जन्म 3 साल पहले गन्ने के खेत में ही हुआ था, इसलिए वो बार-बार खेत में आ जा रहा है. पहली दो घटनाएं जंगल से सटे सीमा क्षेत्र में हुई थी, लेकिन अब अगल-अलग क्षेत्र में बाघ अटैक कर रहा है, जो काफी जोखिम भरा है. हमारी पूरी टीम उसे खोजने में लगी है.
बाघ को मारने के आदेश का कई वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों ने विरोध किया है. इनका कहना है कि बाघ को पकड़ कर दूसरी जगह ले जाया जा सकता है. बाघ को मारना हर नजरिए से गलत है. इन लोगों ने पीएम मोदी से बाघ को नहीं मारने देने की गुहार लगाई है.