Supreme Court verdict on Rape Case: सुप्रीम कोर्ट ने रेप केस के एक आरोपी की 10 साल की सजा खत्म करते हुए कहा कि शादी करने का वादा तोड़ने के हर मामला रेप के तौर पर नहीं देखा जा सकता. जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच ने ये टिप्पणी की.
बेंच ने कहा- आरोपी ने भले ही शादी का वादा किया हो, लेकिन कोई इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि किन्ही हालात की वजह से उसे इनकार करना पड़ा होगा. ऐसे में वादा तोड़ने को रेप केस (Rape Case) ही नहीं माना जा सकता.' इस टिप्पणी के साथ टॉप कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की ओर से सुनाई गई 10 साल की कैद की सजा माफ कर दी.
आरोपी शख्स का एक विवाहित महिला से रिश्ता था, जिसके पहले से 3 बच्चे थे. दोनों के संबंध बने और इस रिश्ते से भी एक बच्चे का जन्म हुआ. लेकिन जब वह शख्स के गांव गई, तब उसे पता चला कि वह भी शादीशुदा है और उसके बच्चे भी हैं.
महिला इसके बाद शख्स के साथ एक अलग घर में रहने लगी और 2014 में उसने पति से तलाक भी ले लिया और बच्चों को भी छोड़ दिया. लेकिन फिर 2015 में उसने आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी.
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