Manipur Violence Reason: मणिपुर में जातिगत हिंसा का लंबा इतिहास रहा है. ताजा मामला उस वक्त सामने आया जब मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतई समुदाय को एसटी का दर्जा देने पर विचार करने का आदेश दिया. इसके खिलाफ कुकी और नागा सड़कों पर आ गये.
दरअसल मैतई समुदाय अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए काफी दिनों से आंदोलन करते रहे हैं. इनकी आबादी राज्य में करीब 50 फीसदी है जबकि घाटी पर इनका कब्जा है.
राज्य की 60 में से 40 सीटें भी इन इलाकों से आती हैं इसलिए पार्टियां इन्हें नाराज नहीं करना चाहती हैं वहीं कुकी और नागा समुदाय मैतई के एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध कर रहे हैं इनका कहना है कि ये बहुसंख्यक हैं ऐसे में अगर इन्हें एसटी में शामिल किया गया तो कुकी और नागा समुदाय के लोगों को नौकरी नहीं मिलेगी.
सबसे अहम बात ये भी है कि कुकी और नागा बहुल पहाडी इलाकों में अभी मैतई जमीन नहीं खरीद सकते अगर वो एसटी में शामिल हो गये तो मैतई को जमीन खरीदने का अधिकार मिल जाएगा.
इसके अलावा म्यांमार की सीमा से लगे जंगलों में बड़ी संख्या में मणिपुर से गैरकानूनी तरीके से आए लोगों की आबादी बढ़ती जा रही है. सरकारी जमीनों और जंगलों पर कब्जा कर रहे हैं. पहाड़ी इलाकों में कुकी समुदाय के लोग ज्यादा रहते हैं जहां अफीम की खेती होती है. ये लोग नशे के कारोबार में भी शामिल हैं इसलिए सरकार के नशे के कारोबार पर शिकंजा कसने को खुद पर हमला मानते हैं.
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