Eid-Al-Adha/Bakrid 2024: देशभर में आज ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्यौहार मनाया जा रहा है. इस मौके पर अलग-अलग मस्जिदों में नमाज अदा की गई. दिल्ली की जामा मस्जिद से नमाज पढ़ने का ड्रोन वाला वीडियो सामने आया. जिसमें हजारों लोग एक साथ नमाज पढ़ते दिख रहे हैं. वहीं मुंबई की माहिम दरगाह में में लोगों ने ईद उल-अजहा के मौके पर नमाज अदा की.
बकरीद का इतिहास-
देशभर में बकरीद का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. इसे ईद-अल-अजह़ा और ईद-उल-अज़हा नाम से जानते हैं. इस दिन को त्याग और कुर्बानी के तौर पर याद किया जाता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, हर साल आखिरी माह ज़ु अल-हज्जा की 10वीं तारीख को बकरीद का पर्व मनाया जाता है. ये पर्व पैगंबर हजरत इब्राहिम से ही कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हुई थी. इस दिन सूर्योदय के बाद नमाज़ अदा करने के बाद कुर्बानी दी जाती है. माना जाता है कि एक दिन हजरत इब्राहीम से ख्वाब में अल्लाह ने उनकी सबसे प्यारी चीज को अल्लाह की राह में कुर्बान करने को कहा. हजरत इब्राहिम ने अपने ख्वाब को सच जाना और अल्लाह की राह में अपनी सबसे अज़ीज चीज अपने बेटे को अपने रब की रजा के लिए कुर्बान करने की ठान ली.
बकरीद में क्यों देते हैं जानवरी की कुर्बानी ?
बकरीद के दिन को कुर्बानी के तौर पर मनाते हैं. इस दिन बकरे सहित कुछ अन्य जानवरों की कुर्बानी दी जाती है. मान्यता है कि इस पर्व को त्याग और कुर्बानी के रूप में मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, एक बार अल्लाह ने पैगंबर हज़रत इब्राहीम का इम्तिहान लेनी की सोची. ऐसे में उन्होंने हज़रत इब्राहीम को ख्वाब के जरिए अपनी एक प्यारी चीज को अल्लाह के लिए कुर्बान करने के लिए कहा. जब हज़रत इब्राहीम उठे, तो वह इस सोच में पड़ गए कि आखिर उनके लिए सबसे प्रिय चीज क्या है? तो उन्हें अपने बेटे की याद आईं. बता दें कि हज़रत इब्राहीम जी को अपने इकलौते बेटे इस्माइल से सबसे ज्यादा प्रेम था. वो ही एक ऐसी चीज थी जो उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय थी. लेकिन अल्लाह के लिए वह अपने बेटे को कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए.
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