UP Madarsa Survey: यूपी में गैरमान्यता प्राप्त मदरसों (unrecognized madrassas) के सर्वेक्षण (Survey) को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं, मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अपनी आशंकाएं भी जताई हैं. इस बीच राज्य सरकार (UP government) ने इस सर्वेक्षण को सियासत से दूर रखने का आह्वान करते हुए कहा है कि यह सर्वे सभी मदरसों को मुख्यधारा में लाने के लिए उठाया जा रहा कदम है.
राज्य के मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि आशंका जताने वाले लोग पहले यह बताएं कि क्या पिछले पांच वर्षों के दौरान राज्य के किसी मदरसे पर बुलडोजर (bulldozers) चला?. उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से भरोसा दिलाते हैं कि किसी भी मदरसे पर बुलडोजर नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मदरसों को मुख्यधारा में लाने के लिए पूरी ईमानदारी से काम कर रही है और सर्वेक्षण का मकसद मदरसों की वास्तविक स्थिति को जानना और उसके स्तर को बेहतर बनाना है.
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यूपी सरकार ने 31 अगस्त को राज्य में संचालित सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. इसके लिए 10 सितंबर तक टीम गठित करने का काम खत्म कर लिया गया है. इसको लेकर अधिकारियों की बैठक हुई है जिसमें स्थिति की समीक्षा की गई. सरकार के आदेश के मुताबिक 15 अक्टूबर तक सर्वे पूरा करके 25 अक्टूबर तक रिपोर्ट सरकार को सौंपने को कहा गया है.
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यूपी में इस वक्त लगभग 7442 गैरमान्यता प्राप्त मदरसे हैं जिनमें प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद भी शामिल है. 560 मदरसों को सरकारी अनुदान दिया जाता है. राज्य सरकार के फैसले के बाद अब इनका भी सर्वे किया जाएगा. इस फैसले को लेकर मदरसों के प्रबंधन और संचालकों ने तरह-तरह की आशंकाएं जाहिर की हैं.