Aravalli Illegal Mining: कहा जाता है कि अरावली की पहाड़ियां हिमालय से भी पुरानी हैं, लेकिन आज अवैध खनन के चलते कई पहाड़ियां विलुप्त हो चुकी हैं और कई गायब होने की कगार पर हैं. माइनिंग माफिया अरावली का सीना छलनी कर रहे हैं और हरियाणा में DSP सुरेंद्र सिंह की हत्या के बाद अरावली रेंज में हो रहा अवैध खनन फिर उजागर हुआ है.
आपको बता दें कि नूंह, गुरुग्राम और फरीदाबाद में 16 जगहों पर अवैध खनन के सबूत मिले थे और इसी को लेकर 'अरावली बचाओ मुहीम' ने NGT ने याचिका दायर कर शिकायत की थी. पर्यावरणविदों (environmentalists) की याचिका के बाद NGT ने सरकार को सर्वे कर तीन महीने के अंदर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे. मामले में एक ज्वॉइंट कमिटी बनाई गई है जो तीनों जिलों में जाकर अवैध खनन के खिलाफ सबूत इकट्ठे कर रही है.
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सुप्रीम कोर्ट ( Supreme COURT) की ओर से नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ( Central Empowered Committee) अरावली पर हो रहे अवैध खनन का विनाशकारी प्रभाव बता चुकी है. समिति ने बताया था कि अवैध खनन का असर पड़ोसी राज्य राजस्थान में देखा गया है, जहां अरावली क्षेत्र की 128 पहाड़ियों में से 31 पहाड़ीं महज 50 साल में खनन की वजह से गायब हो गई हैं. वहीं हरियाणा के बारे में कहा गया कि यहां पर कुल 119 खदानें हैं, जिनमें से 61 खाली पड़ी हैं और 49 फिलहाल चालू हैं. ज्यादातर सक्रिय खदानें यमुनानगर, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़ और भिवानी में हैं.
अरावली पर्वत शृंखला हरियाणा के 5 जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और मेवात से होकर गुजरती है और फरीदाबाद, गुरुग्राम में इसका दायरा करीब 180 वर्ग KM का है। असोला से शुरू होकर फरीदाबाद के सूरजकुंड, बड़खल और गुरुग्राम के दमदमा तक अरावली माउंटेन रेंज (Aravalli Range) फैली है. अरावली की पहाड़ियों में जंगलों की तादात काफी है. इसीलिए पर्यावरणविद मानकर चल रहे हैं कि अवैध खनन को यदि पूरी तरह नहीं रोका गया तो पेड़, वनस्पति के साथ बड़ी संख्या में जीव-जंतुओं का विनाश होगा. जो पहले ही बहुत हो चुका है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2009 में ही यहां खनन पर बैन लगा दिया गया था, लेकिन बावजूद इसके धड़ल्ले से अवैध खनन किया जा रहा है.