Agneepath Scheme Protest: सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) के विरोध में पूरे देश में उग्र प्रदर्शन हो रहा है. इसका सबसे ज्यादा असर देश की लाइफलाइन कहे जानी रेलवे पर पड़ा है. गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह ट्रेनों में तोड़फोड़ की है और आग के हवाले कर दिया है. लेकिन क्या आपको पता है कि प्रदर्शनकारी योजना का विरोध जताने के लिए जिन ट्रेनों को निशाना बना रहे हैं, वो कितने रुपये में बनती हैं? और सरकार को अभी तक इससे कितना नुकासान हो चुका हैं.
एक ट्रेन को बनाने के खर्च को समझने से पहले ये जान लीजिए कि ट्रेन के दो हिस्से होते हैं. पहला हिस्सा ट्रेन का इंजन होता है. वहीं ट्रेन का दूसरा हिस्सा उसके कोच या बोगी होते हैं. ट्रेन के इंजन से ही पूरी ट्रेन को कंमाड दी जाती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक एक्सप्रेस ट्रेन के एक इंजन को बनाने में करीब 20 करोड़ रुपये का खर्चा आता है. चूंकि, भारतीय रेल के इंजन देश में ही बनाए जाते हैं, इस कारण इनकी कीमत इतनी कम है.
ट्रेन के इंजन के अलावा उसमें कई तरह के कोच की बात की जाय तो, ट्रेन के एक कोच को बनाने में करीब 2 करोड़ रुपये का खर्चा आता है. हालांकि इनकी कीमत कोच की सुविधाओं के हिसाब से अलग-अलग होती है. जनरल और स्लीपर के मुकाबले एसी कोच महंगे होते हैं.
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इस हिसाब से देखा जाए तो किसी एक्सप्रेस ट्रेन को बनाने में करीब 68 करोड़ रुपये का खर्चा आता है. एक्सप्रेस ट्रेन में 24 कोच होते हैं. तो 2 करोड़ रुपये प्रति कोच के हिसाब से इसकी कीमत 48 करोड़ रुपये हो जाती है. वहीं इसके इंजन की कीमत 20 करोड़ रुपये तक होती है. वहीं, एक सामान्य पैसेंजर ट्रेन को बनाने में कुल 50 से 60 करोड़ रुपये का खर्च आता है. क्योंकि इन ट्रेनों के कोच में एक्सप्रेस ट्रेनों के मुकाबले सुविधाएं थोड़ी कम होती हैं.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ बिहार में प्रर्दशनकारियों ने 10 ट्रेनों को आग के हवाले किया इस हिसाब से केवल बिहार में एक ट्रेन के जलने पर औसत 60 करोड़ रुपये नुकसान हुआ है अगर 10 ट्रेन की बात करें तो, 600 करोड़ का नुकसान केवल ट्रेन के जलने से हुआ है. इसमें यात्रियों को जो परेशानी हुई और वो अलग है.
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