International Yoga Day: IAS अधिकारी सोनल गोयल ने बताया महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है योग?

Updated : Jun 21, 2023 22:37
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Editorji News Desk

Women IAS Sonal Goyal on International Yoga Day: दुनियभर में आज यानी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है. खास बात यह है कि योग दिवस के मौके पर महिलाएं और बच्चे भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. इस बीच IAS अधिकारी सोनल गोयल (Sonal Goyal) ने महिला के लिए योग क्यों जरूरी है. इसे लेकर बात की. एडीटरजी (Editorji) से बात करते हुए सोनेल ने कहा कि आज महिलाएं भले ही हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. मगर आज भी हमारे समाज में औरतों से दोहरी उम्मीद रखी जाती है. दिन में अच्छी तरह से ऑफिस की जिम्मेदारी निभाने के बाद जब कामकाजी महिलाएं थकी-हारी घर लौटती हैं तो उनसे ये उम्मीद की जाती है कि वो सुपर वुमन की तरह घर के सारे काम भी फटाफट निबटा देंगी.

महिलाओं पर दोहरी जिम्मेदारी से बनता है दबाव - सोनल गोयल
 
IAS अधिकारी सोनल कहती हैं कि “इस तरह से लगातार दोहरी जिम्मेदारियां निभाते हुए औरतों को शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत दबाव का सामना करना पड़ता है. ऐसे में योग और प्राणायाम उनके स्वस्थ रहने के लिए बहुत ज़रूरी हो जाता है.” सोनल बताती हैं कि एक प्रशासनिक अधिकारी होने के नाते उन्हें वर्कप्लेस पर कई बार बहुत चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ता है. उसके बाद घर आकर बच्चों को भी समय देना होता है क्यूँकि वो पूरा दिन आपके घर लौटने का इंतज़ार कर रहे होते हैं. “ऐसे में नियमित योगासन करने से मुझे बहुत मदद मिलती है. रोज़ाना योग करने से न सिर्फ़ तनाव कम होता है बल्कि बॉडी का एनर्जी लेवल भी बना रहता है. जिससे मैं एक प्रशासक, माँ और पत्नी तीनों रोल्स में अपना बेस्ट दे पाती हूँ.”

IAS अधिकारी ने ऑफ़िस में ही की थी क्रैश सुविधा की शुरुआत
 
IAS Sonal Goel बताती हैं कि त्रिपुरा में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने अपने स्टाफ़ की  महिलाओं को दोहरे दबाव से निजात दिलाने के लिए ऑफ़िस में ही क्रैश की सुविधा शुरू की थी. एक कुशल सहायक की निगरानी में छोटे-छोटे बच्चे वहां खेलते और सीखते थे तो वहीं महिला कर्मी अपने काम पर बेहतर ढंग से फ़ोकस कर पाती थीं. कभी किसी काम को निबटाने के चक्कर में अगर महिला कर्मियों को ऑफ़िस से निकलने में देर भी हो जाती तो उन्हें इस बात की चिंता नहीं होती थी कि घर पर उनका बच्चा भूखा होगा. सोनल गोयल की इस पहल का बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ा और कुछ दिनों बाद उनके दफ़्तर के कई पुरुष कर्मियों की भी रिक्वेस्ट आने लगी कि वो भी अपने छोटे बच्चों को उस क्रैश में लाना चाहते हैं.

 

Sonal Goel IAS

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