हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि विकास के नाते प्रदेश सरकार निरंतर कार्य कर रही है. विकास परियोजनाओं के लिए जमीन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. किसी सरकारी विभाग के पास अपनी जमीन उपलब्ध है तो परियोजना पर कार्य शीघ्र शुरू हो जाता है. भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया से अब जमीन का अधिग्रहण नहीं होता है, बल्कि अब पारदर्शी तरीके से जमीन की खरीद की जाती है. इसके लिए सरकार ने ई-भूमि पोर्टल आरंभ किया है, ताकि किसान कलेक्टर रेट व मार्केट रेट के अनुसार अपनी जमीन बेचने के लिए पोर्टल पर ब्यौरा डाले. जमीन की खऱीद-फरोख्त में एग्रीगेटर भू मालिकों को सहमत करें. कम से कम 100 एकड़ या उससे अधिक जमीन का एक चक तैयार करें और ई-भूमि पोर्टल पर डाले. जैसे ही जमीन की अदायगी किसान को दी जाएगी, वैसे ही एग्रीगेटर को कमिश्न भी दिया जाएगा.
उन्होंने बताया कि एग्रीटेडर को प्रति एकड़ पर 2000 रुपये का कमिश्न दिया जाता है। ये अलग-अलग जिलों के कलेक्टर रेट के अनुसार निर्धारित है। कलेक्टर रेट ज्यादा है और मार्केट रेट कम है तो उसकी जानकारी भी संबंधित उपायुक्त को लिखकर दी जानी चाहिए.
ये भी पढ़ें: Haryana Weather Update: हरियाणा में बारिश के साथ गिर ओले, बढ़ गई ठंड, जानें- अपने जिले के मौसम का हाल
मुख्यमंत्री हरियाणा निवास में ई-भूमि पोर्टल पर जमीन की खऱीद प्रक्रिया के लिए बुलाए गए 100 से अधिक पंजीकृत एग्रीगेटर्स को संबोधित कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि पदमा योजना के तहत कम से कम 100 एकड़ जमीन की जरूरत होती है, जबकि कालेज, अस्पताल, स्कूल, इत्यादि के लिए 10 से 15 एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है. एग्रीगेटर पहले दिन ही किसानों को रजामंद करते समय बहुआयामी विकल्प पेश करेगा और कई किसानों का समूह बनाकर परियोजना की अवश्यकता अनुसार जमीन की जानकारी का ब्यौरा ई-भूमि पोर्टल पर डालेगा. उन्होंने कहा कि कलेक्टर रेट और मार्केट रेट में 10 से 15 प्रतिशत का अंतर नहीं होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों के पास जहां जमीन उपलब्ध है, वहां सरकार एक विभाग से दूसरे विभाग में हस्तांतरित करेगी और आवश्यक हुआ तो खरीदेगी भी.