15 जून 2023 को नीम करोली बाबा के कैंची धाम का 59वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. यूं तो यहां पूरे साल ही भक्तों का हुजूम उमड़ा रहता है लेकिन इस खास मौके पर यहां 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है. इस दौरान विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा. माना जाता है कि बाबा नीम करोली 1961 में यहां पहली बार आए और 1964 में उन्होंने कैंची धाम की स्थापना की.
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उत्तराखंड के नैनीताल से लगभग 65 किमी दूर भवाली में कैंची धाम स्थित है. भक्तों का मानना है कि बाबा नीम करोली हनुमान जी का अवतार हैं. कई चमत्कारों और रहस्यों का भी कैंची धाम से जुड़ाव है. माना जाता है कि यहां आकर मुराद पूरी होती हैं. कैंची धाम की लोकप्रियता ना सिर्फ भारत बल्कि विदेशों में भी है और कई जानी-मानी हस्तियां समय-समय पर कैंची धाम पहुंचते रहते हैं.
मान्यता है कि यहां से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है. हर किसी की मुराद पूरी होती है. बाबा नीम करौली को भगवान हनुमान जी का अवतार माना जाता है. बताया जाता है कि 15 जून 1976 को महाराजजी की मूर्ति की स्थापना और अभिषेक का दिन था. स्थापना और अभिषेक समारोह से पहले भागवत सप्ताह और यज्ञ का आयोजन किया गया. भक्तों ने कलश स्थापित किया. साथ ही घंटियों और शंखनाद के साथ ध्वज फहराया. उस समय सभी ने नीम करौली बाबा की मौजूदगी को महसूस किया.
रिचर्ड एलपर्ट रामदास ने नीम करौली बाबा के चमत्कारों पर 'मिरेकल ऑफ लव' नाम की किताब भी लिखी है. इस किताब में 'बुलेटप्रूफ कंबल' नाम से एक घटना का जिक्र किया गया है. बाबा नीम करौली वाले हमेशा कंबल ही ओढ़ा करते थे. आज भी लोग जब मंदिर जाते हैं तो उन्हें कंबल भेंट करते हैं.