Eid al-Adha: गुरुवार को देशभर में ईद-उल-अजहा का त्योहार मनाया जा रहा है. इसके लिए ईदगाह में जरूरी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. गुरुवार सुबह मुस्लिम धर्म के लोग मस्जिदों में बकरीद की नमाज पढ़कर एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देंगे.
दिल्ली की जामा मस्जिद पर सुबह बकरीद की नमाज पढ़ी जाएगी. जिसके लिए सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए हैं. बता दें, इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, ईद उल अजहा का पर्व साल के आखिरी महीने यानी 12वें महीने में आता है. इस महीने में बकरीद के अलावा धू-अल-हिज्जा के दिन भी आते हैं.
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ईद पर क्यों दी जाती है कुर्बानी ?
मुस्लिम धर्म के लोगों के मुताबिक, ईद उल अजहा के पीछे कहानी यह है कि हजरत इब्राहिम को अल्लाह ने ख्वाब में हुक्म दिया था कि वह अपने प्यारे बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान कर दें. हजरत इब्राहिम के लिए यह एक इम्तिहान की घड़ी थी, जिसमें एक तरफ उनका प्यारा बेटा था और दूसरी तरह अल्लाह का हुक्म.
तब इब्राहिम अल्लाह का हुक्म मानते हुए अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे, लेकिन जब हजरत इब्राहिम कुर्बानी दे रहे थे, तभी छुरी के नीचे एक मेमना आ गया और कुर्बान हो गया. इसके बाद से ही बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा शुरू हो गई.
मेमने के कुर्बानी के बाद फरिश्तों के सरदार जिब्रली अमीन ने इब्राहिम को खुशखबरी सुनाई की अल्लाह ने आपकी कुर्बानी को कबूल कर लिया है. इसीलिए आज के दिन लोग बकरे की कुर्बानी देते हैं.