Delhi pollution: राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से हालात गंभीर हो गए हैं. धीमी हवाएं चलने और पंजाब में पराली जलाए (stubble burning) जाने के मामले बढ़ने के बीच वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में आ गए हैं. यही वजह है कि दिल्ली में मंगलवार को धुंध और धुएं की परत छाई रही और सुबह-सुबह विजिबिलिटी (visibility) बेहद कम था. मंगलवार सुबह धुंध की मोटी परत के कारण सफदरजंग हवाई अड्डे (Safdarjung Airport) पर विजिबिलिटी 600 मीटर और पालम हवाई अड्डे पर विजिबिलिटी 900 मीटर थी. प्रदूषण में पराली का हिस्सा अब तक का सबसे ज्यादा 26 प्रतिशत है.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ (NASA) की उपग्रह से ली गई तस्वीरों में कई लाल निशान दिख रहे हैं, जो पंजाब और हरियाणा (Punjab and Haryana) के कुछ हिस्सों में पराली जलाए जाने के मामलों को दर्शाते हैं. पूर्वी पाकिस्तान से पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सिंधु-गंगा के मैदानों के विशाल क्षेत्रों में धुंध की एक परत दिखाई दे रही है. खबर है कि आने वाले अगले कुछ दिनों में प्रदूषण और बढ़ने की संभावना है.
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दिल्ली के कई इलाकों में मंगलवार यानि 1 नवंबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 400 के पार है. वहीं दिल्ली के बुराड़ी क्रॉसिंग इलाके में हालत सबसे ज्यादा खतरनाक बताई जा रही है. 401 और 500 को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है. अब आपको दिल्ली के कुछ जगहों की वायु गुणवत्ता के बारे में बताते हैं, जहां हालत बेहद खराब हैं.
- बुराड़ी क्रॉसिंग- AQI 477
- बवाना- AQI 465
- वजीरपुर- AQI 467
- नरेला- AQI 465
- विवेक विहार- AQI 457)
- रोहिणी- AQI 462
- जहांगीरपुरी- AQI 475
- सोनिया विहार- AQI 469
- अशोक विहार- AQI 465
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दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक विश्लेषण के अनुसार, जब एक नवंबर से 15 नवंबर के बीच पराली जलाए जाने की घटनाएं चरम पर होती हैं, तब राजधानी में लोग सबसे खराब हवा में सांस लेते हैं. शिकागो विश्वविद्यालय के Energy Policy Institute द्वारा जून में जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के अनुसार, खराब वायु गुणवत्ता के कारण दिल्लीवासियों की जीवन प्रत्याशा 10 साल कम होने की आशंका है.