Cyber Crime Bengaluru: बेंगलुरु शहर के येलहंका क्षेत्र में एक बेडरूम वाले घर में रहकर दो लड़कों ने 854 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की. जी हां, पिछले महीने बेंगलुरु साइबर अपराध पुलिस ने एमबीए ग्रेजुएट मनोज श्रीनिवास, सॉफ्टवेयर इंजीनियर फणींद्र के समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया.
पुलिस के मुताबिक, दो सालों में 84 बैंक अकाउंट्स के जरिए 854 करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए. तब पुलिस ने जांच शुरू की. ये लोग कम निवेश पर ज्यादा मुनाफा का लालच देकर लोगों से फर्जीवाड़ा करते थे. इसके बाद फंड को गेमिंग ऐप्स, यूएसडीटी जैसी क्रिप्टोकरेंसी, ऑनलाइन कैसीनो और भुगतान गेटवे के जरिए दूसरे अकाउंट्स में भेज देते थे. पीड़ितों को अपना पैसा कभी नहीं मिलता था.
बता दें कि बीते दिनों एक महिला ने 8.5 लाख रुपये की धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ. पुलिस ने सितंबर महीने में जांच शुरू की तो अन्य खातों का पता चला और इन्हें तुरंत ही फ्रीज किया. उस समय इसमें सिर्फ 5 करोड़ रुपये बचे थे.
बाद में पुलिस ने बेंगलुरु में साइबर अपराध से जुड़े बैंक खातों की तलाश की, तो पाया कि पूरे भारत में इस धोखाधड़ी के 5,013 मामले दर्ज थे. हजारों पीड़ितों ने एक लाख से लेकर 10 लाख या उससे ज्यादा की राशि इन्वेस्ट की. पीड़ितों ने निवेश किया पैसा ऑनलाइन पेमेंट के जरिए अलग-अलग बैंक खातों में भेजा। निवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब पीड़ित पैसा निकालने की कोशिश करते तो उन्हें कभी वापस नहीं मिलता। आरोपियों ने ना तो इंटरेस्ट और ना ही जमा किया पैसा पीड़ितों को दिया.
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पैसा मिलने के बाद आरोपी उसे मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े खातों में भेज देते. साइबर अपराधियों द्वारा धन की हेराफेरी करने के लिए कई बैंक खातों का उपयोग किया गया था. कर्नाटक से सामने आए 487 मामलों में से बेंगलुरु से ही 17 मामले थे.
जांच में पाया गया है कि 84 संदिग्ध खातों के माध्यम से भेजे गए 854 करोड़ रुपये के फंड को क्रिप्टो करेंसी (बाइनेंस), पेमेंट गेटवे, गेमिंग ऐप के जरिए अलग-अलग ऑनलाइन पेमेंट गेटवे में भेजी गई.