Bulldozer Justice: तस्वीरें देखिए और सोचिए कि बुलडोजर (Bulldozer) मकान पर चल रहा है या न्यायपालिका पर... ये कौन लोग हैं जिन्होंने साम्प्रदायिक हिंसा (Communal Violence) के बाद आरोपियों को सीधे दोषी मानते हुए सजा-ए-बुलडोजर दे दिया. ना कोई मुकदमा, ना चार्जशीट, ना कोर्ट ना कचहरी.. आरोप सही हैं कि नहीं यह भी नहीं पता... पूरा मामला मध्य प्रदेश का है. राज्य सरकार ने सोमवार को बड़वानी के सेंधवा में हुये साम्प्रदायिक हिंसा मामले में कार्रवाई करते हुए इनके घरों पर बुलडोजर चलवा दिए...
शिवराज सरकार के इस फैसले की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हो रही है. रवि नाम के यूजर ने लिखा कि ‘आरोपियों को सजा देने का काम, सरकार कब से करने लगी?’
गणेश नाम के एक यूजर लिखते हैं, 'रॉलेट एक्ट तो खत्म हो गया था न? वहीं जिसमें न अपील,न दलील और न वकील होता था. ये दुबारा कब लागू हुआ? और आज़ाद भारत में उस कानून का क्या मतलब? हम आज़ाद हैं न? या अंग्रेजो के बाद इन नेताओं के गुलाम हैं'
वहीं देविंदर पाल नाम के एक यूजर ने लिखा, 'क्या पुलिस को हक है बुलडोजर चलाने का ?? क्या देश का कानून मार गया ? क्या इस जंगल राज नही कहेंगे? बलात्कार करने की धमकी देने वाले खुले घूम रहे हैं और बेगुनाह के घर बुलडोजर से तोड़े जा रहे हैं. संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं..'
एक यूजर ने लिखा कि ‘इतनी त्वरित कर्यवाही, न कोर्ट न कचहरी…लगता है न्यायालयों की आवश्यकता 2025 तक नहीं रहेगी और जज भी बन जाएंगे आत्मनिर्भर.’
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वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा कि ‘एक दिन में किस तरह जांच कर ली गई? किस तरह ये डिसीजन ले लिया गया? क्या देश में कोई न्यायपालिका भी है? या सिर्फ भाजपा नेता ही जज बन चुके हैं?’
पवन जालान नाम के यूजर ने लिखा कि ‘क्या देश की सर्वोच्च अदालत की नजर में यह कानूनी रूप से सही है?’
अखिलेश नाम के एक यूजर ने लिखा कि अगर पुलिस और सरकार ही आरोप सिद्द कर लोगों के आवासों को तोड़ डाले, तो कोर्ट कचहरी किस काम की ?
बन्द कर देनी चाहिए कोर्ट कचहरियों वाली दुकान, अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले कल में हर विरोधी को इसका सामना करना पड़ेगा.
यूपी चुनाव के दौरान 'यूपी में का बा' के जवाब में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 'बुलडोजर बाबा' के नाम पर फेमस किया गया. ठीक इसी तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की 'बुलडोजर मामा' के रूप में ब्रांडिंग शुरू हो गई है.
बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने राजधानी की सड़कों पर होर्डिंग लगाकर 'बुलडोजर मामा' का प्रचार शुरू किया है. होर्डिंग में सीएम शिवराज सिंह की फोटो के साथ लिखा गया है..'बेटी की सुरक्षा में जो बनेगा रोड़ा, मामा का बुलडोजर बनेगा हथौड़ा'. विधायक रामेश्वर शर्मा के ट्वीट के बाद #बुलडोजर _मामा को ट्विटर पर ट्रेंड करवाया जा रहा है.
यह पहली बार नहीं हुआ है. एक अप्रैल को रीवा में रेप आरोपी सीतारामदास महाराज का घर जमींदोज कर दिया गया था. मार्च महीने में भी रेप की दो अलग-अलग घटनाओं में आरोपियों के घर बुलडोजर से ढहा दिए गए. श्योपुर में नाबालिग बालिका से सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी युवक मोहसिन ,रियाज और शहवाज के घरों पर अतिक्रमण की कार्यवाही करते हुए उन्हें जमींदोज कर दिया गया.
इसी तरह सिवनी जिले में कलेक्टर और एसपी ने स्वयं खड़े रहकर सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों पर जेसीबी चलवाई. इस मामले में तीन आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए है.
फिल्मी स्टाइल में फैसला ऑन द स्पॉट की कहानी रोमांचित तो कर रही होगी. लेकिन सोचिए कि क्या सभी आरोपी दोषी ही रहे होंगे? अपराधियों में डर बिठाने के नाम पर अगर एक भी बेगुनाह के साथ न्याय नहीं हुआ तो क्या वह अपराध नहीं होगा? और इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा? अगर सरकार खुद ही किसी को आरोपी तय कर उसे दोषी करार दे दे तो फिर कोर्ट-कचहरी का काम ही खत्म है.
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जब कोई मामला कोर्ट तक पहुंचेगा ही नहीं तो न्यायपालिका क्या करेगी? सवाल उठता है कि क्या मध्यप्रदेश सरकार के इस फैसले को कानून का राज कहा जाना चाहिए?