ताजमहल (Taj Mahal) के 22 कमरों को खोलने की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने याचिकाकर्ता (petitioner) को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने तंज कसते हुए कहा कि कल को आप कहेंगे कि हमें माननीय न्यायाधीशों के चेंबर में जाना है, कृपया PIL सिस्टम का मजाक मत बनाइए. कोर्ट ने याची से कहा कि MA, NET या फिर JRF करिए और उसके बाद ऐसा विषय चुनिए, अगर कोई यूनिवर्सिटी आपको इस सब्जेक्ट पर रिसर्च करने से रोके तो हमारे पास आएं.
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याचिकाकर्ता रजनीश सिंह के वकील ने कोर्ट से कहा कि अगर कोई चीज ताजमहल में छिपाई गई है तो उसकी जानकारी जनता को होनी चाहिए क्योंकि मैंने औरंगजेब की एक चिट्ठी देखी है जो उसने अपने अब्बा को लिखी थी. इस पर अदालत ने कहा कि आप अपनी याचिका तक ही सीमित रहें. आप दरवाजे खोलने के लिए आदेश मांग रहे हैं, आप एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की मांग कर रहे हैं.
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कोर्ट ने पूछा कि आप किससे सूचना मांग रहे हैं तो याची ने जवाब दिया प्रशासन से, कोर्ट बोला कि अगर वो कह चुके हैं कि सुरक्षा कारणों से ताजमहल के कमरे बंद हैं तो वहीं सूचना है. अगर आप संतुष्ट नहीं हैं तो इसको चुनौती दीजिए. अदालत ने याची से कहा कि क्या आप मानते हैं कि ताजमहल शाहजहां ने नहीं बनवाया ? क्या हम यहां कोई फैसला सुनाने आए हैं कि इसे किसने बनवाया या ताजमहल की उम्र क्या है. आप हमें उन ऐतिहासिक तथ्यों को बताएं जिन्हें आप मानते हैं.
जब याचिकाकर्ता ने कहा कि कोर्ट मुझे थोड़ा वक्त दें, मैं इस फैसले पर कुछ दिखाना चाहता हूं तो अदालत ने कहा कि ये याचिका मीडिया में बहस का विषय बनी हुई है और अब आप ये सब कर रहे हैं. आप मेरे घर आइए और हम इस पर बहस करेंगे लेकिन कोर्ट में नहीं.