आदित्य-L1 अपने अहम पड़ाव को पार करते हुए PSLV-C-57 रॉकेट से अलग हो गया है. इसके साथ ही पीएसएलवी सी-57 का काम पूरा हो गया है. आदित्य-L1 सही दिशा में जा रहा है. सभी तंत्र ठीक से काम कर रहे हैं. इसकी पुष्टि इसरो ने की है. आदित्य-L1 का वजन 1480.7 किलोग्राम है.
लॉन्च के करीब 63 मिनट बाद PSLV-XL से आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट अलग हो गया. इसरो का कहना है कि पीएसएलवी सी-57 ने आदित्य एल-1 सैटेलाइट को जरूरी मध्यवर्ती कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है
अब यह धरती के चारों तरफ 16 दिनों तक पांच ऑर्बिट मैन्यूवर करके सीधे धरती की गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र यानी स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस (SOI) से बाहर जाएगा. यहां से आदित्य-L1 को हैलो ऑर्बिट (Halo Orbit) में डाला जाएगा. जहां पर L1 प्वाइंट होता है. इस यात्रा में इसे 109 दिन लगेंगे. आदित्य-L1 को दो बड़े ऑर्बिट में जाना है, लिहाजा यह यात्रा बेहद कठिन है.
आदित्य-एल1 मिशन के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. शंकरसुब्रमण्यम का कहना है कि "सौर हेलियोफिजिक्स और खगोल विज्ञान दोनों डेटा पर आधारित होते हैं. सूर्य हमारा अपना तारा है और इसे समझना हमारे रोजमर्रा के जीवन के लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण है... इसलिए सात पेलोड की कल्पना की गई थी इस मिशन के लिए डेटा का एक अनूठा सेट प्रदान किया जाएगा जो वर्तमान में किसी अन्य मिशन से उपलब्ध नहीं है
Aditya L1: सूर्य के सफर पर निकला Aditya L1, इसरो ने PSLV-C57 द्वारा किया लॉन्च