इसरो के सूर्य मिशन ने अपनी मंजिल की ओर एक और कदम बढ़ाया है. इसरो के मुताबिक, ये ऑपरेशन ISTRAC बेंगलुरु से किया गया. इस दौरान सैटेलाइट को मॉरिशस और पोर्ट ब्लेयर में बने ISRO के ग्राउंड स्टेशनों से ट्रैक किया गया. आने वाला 15 सितंबर बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक बार फिर आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई जाएगी.
3 और 5 सितंबर को भी बढ़ाई गई थी ऑर्बिट
इससे पहले इसरो ने 5 सितंबर को रात 2.45 बजे आदित्य L1 स्पेसक्रॉफ्ट की ऑर्बिट दूसरी बार बढ़ाई थी. तब इसे पृथ्वी की 282 किमी x 40,225 किमी. की कक्षा में भेजा गया. यानी उसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 282 किमी और सबसे ज्यादा दूरी 40,225 किमी. थी.
आदित्य L1 की ऑर्बिट पहली बार 3 सितंबर को बढ़ाई गई थी. तब इसे पृथ्वी की 245 Km x 22459 Km की कक्षा में भेजा गया. यानी उसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 245 किमी और सबसे ज्यादा दूरी 22459 किमी हो गई थी.
2 सितंबर को हुआ थी आदित्य L1 की लॉन्चिंग
बीते 2 सितंबर को आदित्य L1 को सुबह 11.50 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था. लॉन्चिंग के 63 मिनट 19 सेकेंड बाद स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की 235 Km x 19500 Km की कक्षा में स्थापित कर दिया था.
वैज्ञानिकों के मुताबिक, करीब 4 महीने बाद यह 15 लाख Km दूर लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा. इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता है, जिसके चलते यहां से सूरज पर आसानी से रिसर्च की जा सकती है.