चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाबी का झंडा गाड़ने के बाद भारत अब सूरज के दीदार करने की तैयारी कर रहा है.धरती के गुरुत्वाकर्षण से बहुत दूर भारतीय विज्ञान का एक यान देश के सपनों के पंख लगाए असंभव के धरातल के करीब पहुंचने का इरादा कर चुका है.
चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद इसरो ने अब सूरज की तरफ यान भेजने की तैयारी की है.ये भारत का पहला सौर मिशन है.
इस मिशन का नाम है आदित्य-L1 इसकी लॉन्चिंग 2 सितम्बर को श्रीहरिकोटा सतीश धवन स्पेस सेंटर से होगी.सूर्य की निगरानी के लिए भेजे जा रहे इस यान के सभी पेलोड यानि उपकरणों को पूरी तरह से चेक किया जा चुका है. इस मिशन पर खर्च हुए है लगभग 378 करोड़ रुपए है.
आदित्य मिशन सूरज के बिल्कुल पास नहीं जाएगा, क्योंकि ये संभव नहीं है.आदित्य मिशन धरती से 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर रहेगा.आदित्य L1 में लगा कैमरा सूरज की HD फोटो लेगा, और सूर्य की वो तस्वीर दुनिया के सामने पेश करेगा,जिससे दुनिया अब तक अनजान है. पृथ्वी और सूरज के बीच की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है,और सूरज की किरणों को पृथ्वी पर पहुंचने में 8 मिनट का वक़्त लगता है
जहां पर आदित्य L1 को तैनात किया जाएगा, उस जगह को L1 पॉइंट कहते हैं ये धरती से इसकी दूरी 15 लाख किलोमीटर है, इस जगह पर रहकर यान सूरज की आग से बर्बाद होने ने बचा रहेगा.
L1 पॉइंट सौरमंडल में वो जगह है जिसको लागरेंड पॉइंट कहते हैं, अंतरिक्ष में दो ग्रहों या सितारों के बीच में मौजूद खास पॉइंट को L1 पॉइंट कहते हैं. L1 पॉइंट पर दो ग्रहों या सितारों की ग्रेविटी चलते ऐसा क्षेत्र बन जाता है जहां कोई भी स्पेसक्राफ्ट कम एनर्जी खर्च किए एक ही जगह पर बना रह सकता है वैज्ञानिकों की भाषा में इसे अंतरिक्ष में पार्किंग कहते हैं.इस पॉइंट पर मौजूद स्पेस क्राफ्ट को दोनों ही ग्रहों या सितारों की ग्रेविटी अपनी ओर खींच नहीं सकती.
आदित्य-L1 स्पेस क्राफ्ट लॉन्च होने के पूरे 4 महीने बाद सूरज पृथ्वी के सिस्टम में लागरेंड पॉइंट 1 तक पहुंचेगा, ये पहला मिशन होगा जिससे हम सूरज के बारे में जानकारी लेंगे खास बात ये है कि जहां आदित्य-L1 पहुंचेगा वहां सूर्य ग्रहण का भी असर नहीं पड़ता, यानी रिसर्च में कोई दिक्कत नहीं होगी. भारत की कोशिश ये है कि हम दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएं जो पहली कोशिश में ही L1 पॉइंट पर पहुंच चुके हैं.