चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद इसरो ने अब 2 सितंबर को सूर्य का अध्ययन करने के लिए अपने महत्वकांशी मिशन आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. 2008 में इस आदित्य मिशन की परिकल्पना की गई थी, बजट की कमी के कारण कई बार स्थगित किया गया था.
लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी), जो चंद्रयान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है, आदित्य-एल1 और गगनयान मिशन पर भी इसरो के साथ सहयोग कर रहा है.
”एलएंडटी डिफेंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष और प्रमुख एटी रामचंदानी ने कहा “हम पीएसएलवी लॉन्च मिशन में हिस्सा लेते हैं. हमारे पास कोयंबटूर में विनिर्माण सुविधा है और हम हीट शील्ड, रॉकेट हार्डवेयर आदि बहुत कुछ बनाते हैं. मिशन आदित्य-एल1 और आगामी मिशन गगनयान जिसमें मनुष्य पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे हम फ्लाइट-रेटेड हार्डवेयर पर काम कर रहे हैं और मिशन से जुड़े हैं. एलएंडटी मिशन गगनयान के लिए के लिए क्रू यान में क्रू एस्केप सिस्टम के लिए एक मॉड्यूल पर भी काम कर रही है.
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आपको बता दें कि एलएंडटी डिफेंस की इसरो के साथ 50 साल की साझेदारी है, जिसमे अभी तक अंतरिक्ष नेटवर्क तंत्र सहित लॉन्च वाहन हार्डवेयर आदि प्रमुख है. मुंबई स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनी ने चंद्रयान के LVM3 M4 मिशन के लिए बूस्टर सेगमेंट, नोजल बकेट फ्लैंज और नाभि प्लेट जैसे महत्वपूर्ण घटकों का योगदान दिया.एटी रामचंदानी के अनुसार “चंद्रयान में हमने ठोस बूस्टर का योगदान दिया, जिसने प्रक्षेपण यान को अंतरिक्ष में भेजा. हमारी टीमों ने उड़ान के लिए ट्रैकिंग रडार, वाहन पर वाहन लॉन्चर और ऑर्बिटर मॉड्यूल के एकीकरण का योगदान दिया है".
लॉन्चिंग लागत को छोड़कर सौर मिशन की लागत 378.53 करोड़ रुपये है. शुरुआत में FY17 में, मिशन को 3 करोड़ रुपये के बजट के साथ सौर कोरोना का अध्ययन करने के लिए एक छोटे 400 किलोग्राम से कम-पृथ्वी परिक्रमा उपग्रह के साथ एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में भेजने की योजना बनाई गई थी. लेकिन अब परियोजना का दायरा बढ़ा कर एल1 बिंदु पर स्थापित की जाने वाली एक व्यापक सौर अंतरिक्ष पर्यावरण वेधशाला तक इसको विस्तारित किया गया है.