अपनी दमदार एक्टिंग से बॉलीवुड में खास पहचान रखने वाले दिग्गज एक्टर पकंज कपूर (Pankaj Kapoor) की गिनती इंडस्ट्री के उन बेहतरीन इक्टर्स में होती है, जिन्होंने थियेटर से लेकर छेट और बड़े पर्दे पर अपनी छाप छोड़ी. पंकज कपूर के बर्थडे के खास मौके पर आपको उनकी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं.
इंजीनियरिंग छोड़ एक्टिंग में बनाया करियर
29 मई 1954 को पंजाब के लुधियाना में जन्में पंकज कभी इंजीनियरिंग के टॉपर थे. लेकिन एक्टिंग को लेकर अपने जुनून के लिए पंकज ने अपना करियर दांव पर लगा दिया और एक्टिंग की ओर रुख कर लिया. इसके बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ग्रेजुएशन किया और 4 साल तक थिएटर किया.
इन फिल्मों में दी जाती है एक्टिंग की मिसाल
चेहरे के हाव-भाव से लेकर किरदार को अंदर तक उतार लेने का गुण पंकज कपूर को भी बखूबी आता है. पकंज कपूर ने श्याम बेनगल की फिल्म आरोहण(1982) से फिल्मों में एंट्री की थी. इसके बाद (1982) रिचर्ड एटनबरो की फिल्म 'गांधी' में उन्होंने महात्मा गांधी के दूसरे सचिव प्यारेलाल की भूमिका निभाई थी. फिल्म में उनका किरदार भले ही छोटा था लेकिन इंप्रेस्सिव था इस फिल्म ने 8 ऑस्कर अवॉर्ड अपने नाम किए थे.
इसके बाद एक्टर ने एक से बढ़ कर एक फिल्म की. पंकज को फिल्म 'मकबूल' और 'डॉक्टर की मौत' के लिए काफी पसंद किया गया. वहीं वो जाने भी दो यारों (1983), जलवा (1987), राख (1989), जैसी कई फिल्मों में पंकज कपूर की अदाकारी की मिसालें दी जाती हैं. 'धर्म', चमेली, 'एक रुका हुआ फैसला', 'मैं प्रेम की दीवानी हूं', जैसी फिल्मों में भी वो नजर आए.
अभिनय के लिए तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके पंकज ने अपने बेटे शाहिद कपूर को उन्होंने फिल्म मौसम में निर्देशित भी किया.
छोटे पर्दे पर भी छोड़ी अपनी एक्टिंग की छाप
बड़े पर्दे पर ही नहीं पंकज ने छोटे पर्दे पर भी अपनी छाप छोड़ी. उन्होंने 80 के दशक में जासूसी सीरियल 'करमचंद' में अपनी मुख्य भूमिका के लिए जबरदस्त वाहवाही लूटी. 'करमचंद' के अलावा टीवी शो 'ऑफिस ऑफिस' में उनके किरदार को जबरदस्त प्रसिद्धी मिली. सिस्टम के भ्रष्टाचार को व्यंग के रूप में पेश करने वाले इस शो में उन्होंने मुसद्दीलाल का किरदार निभाया था. जो आज भी लोगों के जहन में ताजा है.
रील लाइफ के साथ रियल लाइफ भी चर्चा में रही
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के दौरान ही उनकी मुलाकात अभिनेत्री और डांसर नीलिमा अजीम से हुई थी. दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गईं और फिर उन्होंने शादी कर ली. इसके बाद शाहिद कपूर का जन्म हुआ. हालांकि दोनों की ये शादी लंबे वक्त तक नहीं टिक पाई और शादी के 9 साल बाद ही पकंज और नीलिमा अलग हो गए.
इसके बाद 1986 में पंकज की मुलाकात सुप्रिया पाठक से हुई और दोनों ने एक दूसरे को अपना जीवनसाथी चुना. सुप्रिया पाठक और पंकज कपूर के दो बच्चे हैं. जिनमें से बेटी सनाह कपूर और बेटा रुहान कपूर हैं.