हिंदी फिल्म उद्योग में शानदार काम करने वाले एक्टर्स में से एक मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) के फ़िल्मी करियर की शुरुआत आसान नहीं रही. शुरू में उन्हें कई बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा. हाल ही में एक्टर 'अर्थ अ कल्चर फेस्ट' में पहुंचे थे.
इस दौरान एक्टर ने आरजे नीलेश मिश्रा के साथ बातचीत में कहा, 'जब कोई काम नहीं होता है, तो बहुत काम होता है.' उन्होंने आगे कहा, 'रिजेक्शन कभी भी आपको परिभाषित नहीं करता है, असफलता आपको कभी परिभाषित नहीं करती, उसी तरह सफलता भी आपको परिभाषित नहीं करती. मनोज बाजपेयी, जो एक्टर है, वो तीस साल पहले भी था, और आज भी वही एक्टर है.'
उन्होंने कहा कि, 'जब वह अपने सबसे निचले स्तर पर थे, तो उन्हें पता था कि उन्हें केवल एक शॉट की जरूरत है और वह खुद को साबित करेंगे. जब मैं असफल हुआ तब भी मैं एक बुरा एक्टर नहीं था. बस में मार्किट और कमर्शियल पहलुओं के हिसाब से मैं असफल था. लेकिन, मैं जो काम कर रहा था मेरे हिसाब से वो बुरा नहीं था. मुझे बस एक बात पता थी- मुझे मौका मिलेगा और मैं वापसी करूंगा.'
बता दें, मनोज ने (1994) 'द्रोह काल' के साथ बॉलीवुड में डेब्यू किए था. लेकिन उनके सफल करियर की शुरुआत साल 1998 में आई फिल्म 'सत्या' से हुई हुई थी.
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